गीत देश दसा रो

गीत प्रहास साणोर

देख देश री दसा नैं बिगाड़ी दुरजणां,फसादां करी नै मोज पावै।
रसा पर माजनो गमावै रसा रो,उणी नै देख नैं गसा आवै।।१

ऊजल़ा वेस रू बोल हद ऊजल़ा,गजब री कल़ा जन जोड़ गाटै।
मोकै रा मारणा कौल कर मारका,खल़ा हद वोट रा बोल खाटै।।२ […]

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दुव सेन उदग्गन – वंश भास्कर

।।छंद दुर्मिला।।
दुव सेन उदग्गन खग्ग समग्गन अग्ग तुरग्गन बग्ग लई।
मचि रंग उतंगन दंग मतंगन सज्जि रनंगन जंग जई।।१।।
लगि कंप लजाकन भीरु भजाकन बाक कजाकन हाक बढी।
जिम मेह ससंबर यों लगि अंबर चंड अडंबर खेहू चढी।।२।।

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रे फूलों रा राजवी

रे फूलों रा राजवी, गाढा रंग गुलाब।
दरस परस दोनूं कियां, दुख दे मन रा दाब॥1

गहरा फूल गुलाब जी, आयौ थारे पास।
आणँद मन नें आपजै, मन मत करे निराश॥2

गहरा फूल गुलाब रा, कंटक मँह आवास?
सबरो घर सुरभित करे, पण खुद ने दे त्रास।3 […]

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गुलाब लाजवाब है

छंद नाराच

हरी हरी ज पांनडी लगे घणी सुहावणी।
कळी फबै है फूटरी मनां तनां लुभावणी।
पणां सँभाळ कंटकां इ’रा घणा खराब है।
लख्यौ ललाम लाल वो गुलाब लाजवाब है॥1

कळी कळी महेकती गळी गळी सुबास है।
सुगंध चारू कूंट में हरेक रो औ खास है।
जणां जणां मनां तणो रिझावणौ जनाब है।
लख्यौ ललाम लाल वो गुलाब लाजवाब है॥2 […]

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गीत गिरधर दान जी सा दासोड़ी री काव्य प्रतिभा रो-जगमाल सिंह ज्वाला रचित

गिरधर दान जी सा दासोड़ी, आपरी काव्य प्रतिभा ने नमन करता थका आपरे श्री चरणों में आ गीत राखु। म्हे जेड़ो देख्यो अर सुण्यो वा ओपमा देवण री कोशिस करी।

शेल पर दिखे ज्यो चमकतो चाँद लो।
एम ही गिरधर आखरां ओपे।
गद्य री पद्य री जाण अति गूढ़ता।
रस में झाड़ रा झाड़ तू रोपे।1।

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सीस उबेल़ण आव शकत्ती।-अज्ञात

मढ हूँत बेग पलाण मखत्ती, बावन झूल सहेत बखत्ती
हेकण ताल़ी बाघ हकत्ती, सीस उबेल़ण आव शकत्ती।

साख बीससत काज सरन्नी, बेद किसो जिण जाय बरन्नी
धाबल़ लोवड़ ताय धरन्नी, कवि उबारण आव करन्नी।

शीश चाड जणा साद सुणीजे भारी हुवै कामल़ी भीजे
देबी आय बेग सुख दीजे, किनियाणी अब जेज न कीजे […]

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मां सूं अरदास -गिरधारी दान रामपुरिया

छंद – मोतीदाम

रटूं दिन रात जपूं तुझ जाप,
अरूं कुण नाद सुणै बिन आप
नहीं कछु हाथ करे किह जीव,
सजीव सजीव सजीव सजीव ।।1

लियां तुझ नांम मिटे सब पीर ,
पङी मझ नाव लगे झट तीर ।
तरै तरणीह कियां तुझ याद ,
मृजाद मृजाद मृजाद मृजाद ।।2 […]

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खुद रै बदळ्यां बिना बावळा

खुद रै बदळ्यां बिना बावळा,
राज बदळियां के होसी ।
कंठां सुर किलकार कर्यां बिन,
साज बदळियां के होसी।।

कितरा राज बदळता देख्या,
सीता रै पण कद सौराई।
जनक आपरै वचन जिद्द में,
परणावण री सरत पौलाई।। […]

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आ रे मेरे जोगिया

इश्क चदरिया मैं सखी!,करूं गेरुआ रंग।
फिर बन बन डौलत फिरूं,निरमोही के संग॥1

जोगी के दरबार से,आया यह संदेश।
बांध गठरिया देह की, चलो बिराने देश॥2

जोगी तेरे नैन में, देख सजूं शृंगार।
इश्क चुनरिया ओढ फिर, करूं प्रणय मनुहार॥3 […]

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यादों की सोनापरी

पलकों में उमडा सखी, यादों का सैलाब।
लगी बरसनें आंख फिर, भीगे सारे ख्वाब॥1

(पलकां सजनी आवियौ, यादों रो सैलाब।
आंख हुई सावण झडी, भिंज्यां सारा ख्वाब॥1)

यादों की सोनापरी, आ बैठौ मन मांय।
सखी तुम्हारे वासते, जाजम रखी बिछाय॥2

(यादों री सोनापरी, आव बैठ मन मांय।
सजनी थारै वासतै, जाजम दई बिछाय॥2) […]

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