हिये दरस री हाम

पंथ विकट पाळो चलण, माथे अनड मुकाम।
हुकम करो हिंगळाज मां, हिये दरस री हाम॥1
मन मंदिर मँह मावडी, करता रोज मुकाम।
महर करो माजी हमें, हिये दरस री हाम॥2
अलख निरंजन री सखी, अनपूरण अभिराम।
धरा कोहला री धणी, हिये दरस री हाम॥3 […]

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छंद करनीजी रा – कवि गंगारामजी बोगसा

छंद करनीजी रा-गंगारामजी बोगसा रा कहिया 

देवी डाढाल़ीह, काछेली हेलो कियां।
आवै उंताल़ीह, व्रन रुखाल़ी वीसहथ।।

।।छंद।।
बोत विरोध विचार अकब्बर
नीच अनीत करी अनियाई।
भामण तेड़ लही छल़ भीतर
हिंदूस्थान म्रजाद हटाई।
साहल़ भूप पीथल्ल की सांभल़
एकण साद तणै पुल़ आई
वीसहथी करनी व्रन वाहर म्हांरीय साय करो महमाई।।१[…]

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हाल पिया हरद्वार

आदरणीय मोहनसिंहजी रतनू री पंक्ति “हाल पिया हरिद्वार” माथै कीं दूहा -गिरधरदान रतनू दासोड़ी

पाप प्रखालण प्रेम सूं,समझ जीवण रो सार।
दीनबंधु रै दरस कज,हाल पिया हरद्वार।।१
नावण गंगा नेम सूं,धावण माधव धार।
पावन संतां परसवा,हाल पिया हरिद्वार।।२
गंगा पावन लहर गुण,सबरो करै सुधार।
जबरो तीरथ जोयबा,हाल पिया हरिद्वार।।३ […]

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पितृ हंता नरेश नै मिलण सूं मना करणियो निर्भीक कवि तेजसी बारठ

“गुण पंखी प्रबोध” रा रचयिता केशरीसिंह जैतावत आपरी इण पोथी में चारण भक्त कवेसरां री साधना नै सरावता लिखै- रांम रिझायो चारणां, वडा वडा कथ वत्त। पंखियां तणो प्रबोध सुण, केहरि कहै कवत्त।। यूं तो चारणां में घणा ई भक्त कवि होया है पण चवदै भक्त कवियां रो नामोल्लेख घणो मिलै- चौरासी रूपग नरहर चवण, वरणत वाणी जू जुवा। चरण सरण चारण भगत, हरि गायक एता हुवा।। भक्त नरहरदास बारठ रो नाम ज्यूं चावो है उणी गत इणां रै कौटम्बिक सदस्य तेजसी बारठ टेला रो नाम घणो चावो है।रतनू वीरभाण आपरी पोथी “भागोत पुराण में लिखै है – संत कवेसर तेजसी, दूजो नरहरदास। जपियो कल़प […]

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जीवतै नै बोला दियो ! तो किसी इचरज री?

महाराजा मानसिंह जोधपुर, आपरी बगत रा महामनस्वी अर उदार नरेश हा। बै जितरा वीर अर अडर हा उतरा ई स्वाभिमानी। जितरा सहज हा उतरा ई संवेदनशील। महाराजा रै खास अर विश्वासी लोगां जद उणां रै साथै विश्वासघात अर छल़ कपट करणो शुरु कियो तो उणां नै इण रो अणूंतो खेद होयो। ऐड़ै समय में बै घणी वेल़ा गुमसुम हो ज्यावता तो घणी वेल़ा अबोला बैठा रैवता। ऐड़ै संक्रमण काल़ में एकर उणां सूं मिलण खातर अंग्रेज़ी सरकार रो एल ची अकबर अली आयो। महाराजा पागलपण रो नाटक करतां थकां गुमशुम अर अबोला बैठा रैया। नी तो उणां अकबर अली सूं […]

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सोनल स्तवन – अजय दान जी लखाजी रोहडिया

🌺छंद -रेणकी🌺
चारण प्रिय पर्म धर्म जब तज कर, करन कर्म प्रतिकूल लगे।
कारण इन कु-मन सुमन भय दिन दिन,दया दान सब दूर भगे।
मारन मद मोह ताहि मय तन्मय, यह लख नवलख चिंत्य करम।
करनल दुःख दूर करन सोय दारूण, धर पर सोनल रूप धरम्॥1

निरमल मति अंग गंग सम उज्जवल ,वचन वारि अघ ओघ दलम।
निश्छल जिहि कान पान कर खल दल, काल व्याल तें तुरत टलम।
अविचल गति गहन सरल चित अविरल,हरि हर जो गुणगान करम।
करनल दुःख दूर करन सोय दारूण, धर पर सोनल रूप धरम्॥2[…]

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सोनल स्तुति – अजय दान लखाजी रोहडिया

।।मत्तगयंद सवैया।।
आज परे हम पे दुःख दारुण , लाज तजी निज काज सँवारे।
देव कहाय, भये पर दानव, मानव के सद् गुण बिसारे।
काह कहें न कह्यो कछु जायजु, है सबही विधि हिम्मत हारे।
सोनल मात सहाय करो हम पापी तथापि है पुत्र तिहारे।।1

फैल फितूर मे फूल रहै अरु, भूल अतूल भरे हम भारे।
खेलत खेल खुले खल सों मिल, ऐसे है हाल हवाल हमारे।
काल कराल के गाल में कालहि, जावनों पें न जराहि बिचारे।
सोनल मात सहाय करो हम पापी तथापि है पुत्र तिहारे।।2[…]

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ओऱंगजेब रै अत्याचारां रै खिलाफ अड़णियो महावीर नरु सौदा

राजपूती शौर्य री प्रतीक रूपनगढ री राजकुंवरी आपरै जातिय गौरव नै अखंडित राखण अर स्त्री स्वाभिमान नै मंडित करण सारू ओरंगजेब रै आतंक सूं नी डरर निशंक उणनै वरण सूं मना कर दियो। उणनै उण बगत आखै रजवाड़ां में एक मात्र आशा रो दीप दीखतो हो, बो हो उदयपुर महाराणा राजसिंह। जिण भांत रुकमणी, किसन नै संदेशो मेलर परणण खातर कैवायो उणी गत इण वीरांगना रजवट नै निकलंक राखण खातर राणै राजसिंह नै स़देशो पूगायो। एकर तो राणो ई ओरंग रै बोहरंगै पणै सूं संकियो पण उणनै पूर्वजां री गीरबैजोग परंपरा याद आई। उणां आई सोची कै एक राजपूत बाल़ा […]

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श्री सिध्धेश्र्वरा महादेव स्तुति

।।छंद त्रिभंगी।।
समरत जेहि शेषा, दिपत सुरेशा, पुत्र गुणेशा, निज प्यारा।
ब्रह्मांड प्रवेशा, प्रसिध्ध परेशा, अजर उमेशा, उघ्धारा।।
बेहद नरवेसा, क्रत सिर केशा, टलत अशेषा, अधरेशा।
जयदेव सिध्धेशा, हरन कलेशा, मगन हमेशा, माहेशा।।1।।[…]

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करणी जी रो गीत

गीत – सपाखरु

वेदां वरन्नी आलोकां भेदां तुळज्जा तरन्नी बाळा,
रंगी शूळ तोकां ओकां भरन्नी रगत्त।
अधोकां राकेश शीश धरन्नी धरन्नी ईस,
सरन्नी त्रिलोकां नमो करन्नी शगत्त॥1॥

आभा निलै नूर छाजै नवीनां मयंक वाळी,
छीनां लंक वाळी वाजै घंटका छुद्राळ।
जुगां वाळी देहा री पै वेहा री अनुजा जयो,
मेहा री तनुजा जयो घंटाळी मुद्गाळ॥2॥

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