तंत्रोक्त देवी सुक्तम का भावानुवाद
देव नमो देशाणपत, सगती रूप शिवा ज।
प्रणमुं भद्रा प्रकृति, मेहाई महराज।।२००
नित्या रूद्राणी नमूं, गौरी धात्रि मां ज।
ससि रुपा जोसना सुखा, मेहाई महराज।।२०१
कल्याणी वृधि सिध करा, राखस लिछमी राज।
श्री-राजा, शिव सहचरी, मेहाई महराज।।२०२
दुर्गम पार उतारणी, सारां सारण काज।
ख्याति क्रृष्णा धूमवत, मेहाई महराज।।२०३