देखापा री दौड़ मची छै!

देखापा री दौड़ मची छै!
मंडी मुखौटां भोर जची छै!!

जुजिठल दाव लगाणो पड़सी!
शकुनि रामत और रची छै!!

कागा हंस हंसां नै कागा!
चवड़ै देर्या जोर गची छै!!

ठगवाड़ै सूं कड़ियां जुड़तां!
नड़िया नड़ियां ठोर नची छै!!

मंचां ऊपर बात त्याग री!
घर में मारै चोर डची छै!!

छोटा लाज बजारां जोवै!
(वा)मोटां पेटां मोर पची छै!!

प्रेम प्रीत घातां में घुल़गी!
करबा सुणबा सोर बची छै!!

तोतक रासो नहीं समझ में!
गिरधर थारी जोड़ कची छै!!

~~गिरधर दान रतनू “दासोड़ी”

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