दुआ

दुआ मुझे तुमने छुआ, हुआ तभी खुशहाल।
वरना नरपत का सखी, बहुत बुरा था हाल॥1

दुआ आप मुझको मिली, खिली तभी मन डाल।
पंछी फिर आने लगै, इस सुखै मरु- ताल॥2

दुआ दुःखी मन की दवा, दुआ हरे सब पीर ।
दुआ काज सब भटकते, खोजत संत फकीर॥3

दर पर ना दरवेश के, ना संतो के पास।
दुआ दुःखी जन देत है, जो है प्रभु का दास॥4

दुआ आसमां में बसे, जिसका महल अजीब।
हर  कोई ना पा सके  , जागे बिना नसीब॥5

दुआ अनछुए बदन की, बेटी संत फकीर।
मिलती उसे संवारती, बनता  वही अमीर॥6

दुआ यह तुझै क्या हुआ, नजर सखी मत फेर।
गर तू जीवन से गयी, तो होगा अंधेर॥7

मुझे दुआ बन कर छुऔ, सखी सलोनी आप।
अवगाहन से जाह्नवी, धुल जाएगै  पाप॥8

छुआ -अनछुआ माफ कर, दुआ! दया कर फेर।
मम आंगन आती रहौ, हरदम सांझ सबेर॥9

दुआ ! न बनना बददुआ, छुआ बुरा कर माफ।
हुआ जो हुआ सो हुआ, नरपत है दिल-साफ॥10

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