श्री आंजनेय वंदना

।।दोहे।।
संकटमोचन! पवनसुत! आंजनेय! अतिज्ञान।
महावीर! विक्रम-बली! हे कपिवर! हनुमान।।१
राम नाम रसपान रत, महावीर मतिमान।
अतुलितबल! साहसविपुल!, हे कपिवर! हनुमान।।२
निगमागमज्ञानी निपुण, कवि कोविद! गुणखान।
धीर वीर! सुत-केसरी, हे कपिवर हनुमान।।३
रामरसायनपान रत, रामनाम रत गान।
राम सिया अंकित ह्रदय, हे कपिवर! हनुमान।।४
गढ ढाहण लंका गजब, अद्भुत शोर्य अकूत।
देह-वज्र! दानव दलन, दशरथ सुत के दूत। ५
।।छंद नाराच।।
अकूत शौर्य! अंजनी-प्रसूत! ज्ञानसागरं!
कपीश! राघवेन्द्रसैन्ययूथमुख्यवानरं!
अभूतपूर्व हे सिया-सपूत! भूत दंडनं!
श्रीरामदूत! वायुपूत! हे हनूंत वंदनं!!१
प्रबीन-नीति-रीति! राम प्रीति गीति! रंजनं!
प्रतीति है, अनीति ;दैन्य; ईति; भीति; भंजनं!
विनीत हूँ करो अनिष्ठ! दूर कीशमंडनं!
श्रीरामदूत! वायूपूत! हे हनूंत वंदनं!!२
प्लवंगसंग रंग! रंग! लंक भंग! कारणं!
विहंगराज ला; भुजंगपाश राम हारणं!
प्रचंडमारतंडभक्ष! राक्षसं विखंडनं!!
श्रीरामदूत! वायूपूत! हे हनूंत! वंदनं! ३
गले मंदारपुष्पहारधारकं कपीश्वरं!
अदम्यसाहसीअपारमारकंनिशाचरं!
गदाप्रहारमुष्ठिमार भूमिभार भंजनं!
श्रीरामदूत! वायुपूत! हे हनूंत! वंदनं!!४
विशिष्ठ! श्रेष्ठ!!एकनिष्ठ इष्ठराघवं परं!
प्रसाद मिष्ठ मोदकं! अमोघदायकं वरं!
महाबलिष्ठ! शुष्ठु शिष्ठ! केसरी सुनंदनं!
श्रीरामदूत! वायुपूत! हे हनूत! वंदनं!!५
मुनिन्द्रसिद्धसाधुसंतसेवितं! सुखाकरं!
प्रबुद्ध! रूद्रअग्रणी! विशुद्धबुध्धिसागरं!
कृतान्तद्वंद्वयुद्धकृद्धदैत्यदर्पगंजनं!
श्रीरामदूत! वायुपूत! हे हनूंत वंदनं! ६
सुरूपबाललोकपाल! व्योमभाल! मर्कटं!
करालज्वालमालकालनेमिकाल! उद्भटं!
प्रणम्य! भीमपार्थपाल! लाल हे प्रभंजनं!
श्रीरामदूत! वायुपूत! हे हनूंत! वंदनं!!७
दयानिधान धूपध्यान! दीपदान अर्चितं!
सिंदूरस्नेहलेपस्नान वज्रदेह! चर्चितं!
श्रीजानकीशकीर्तनंरसामृतेन! रंजनं!!
श्रीरामदूत! वायुपूत! हे हनूंत! वंदनं!!८
“नृपत् कृतं” सुभक्ति! युक्त सुक्ति मौक्तिकं वरं।
करालकालकंटकोहरं नराच सुंदरं!
“श्री! आंजनेय-वंदना!” मनोहरं शुभंकरं!
प्रसीदते सियावरं प्रभात गीयते नरं!!९
~~©नरपत आसिया “वैतालिक”