जद भोर भयंकर भूंडी है

जद भोर भयंकर भूंडी है
अर सांझ रो नाम लियां ही डरां।
इसड़ै आं सूरज चंदां रो
किम छंदां में गुणगान करां।।

कळियां पर काळी निजरां है
सुमनां री सौरभ सहमी है।
उर मांय उदासी उपवन रै
जालिम भंवरा बेरहमी है।।
माळी रो मनड़ो ही मैलो
किण बात रो आज गुमान करां।
इसड़ै आं सूरज चंदां रो
किम छंदां में गुणगान करां।।

चांदै रो दागिल वो चेहरो
रजनी सजनी रै रड़कै है।
कोठा’ळी बातां होठां सूं
कहद्ये तो कडूंबो कड़कै है।।
जुग-जुग सूं रजनी जुलम सहै
किण भांत आ बात बखाण करां।
इसड़ै आं सूरज चंदां रो
किम छंदां में गुणगान करां।।

धरती अम्बर सूं धाप्योड़ी
अम्बर धरती सूं उकतायो।
मनड़ै री मगज्यां क्यूं फाटी
ओ रोग समझ में नीं आयो।।
है धूप अंधेरै रै धरमेला
किम सांच’र झूठ पिताण करां।
इसड़ै आं सूरज चंदां रो
किम छंदां में गुणगान करां।।

~~डॉ गजादान चारण “शक्तिसुत”

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