नीम री गजल

आंगण ऊभौ नीम सजणवा!
हर पळ संग हकीम सजणवा!
खारो है पण लागै प्यारौ,
निरखणदोनी नीम सजणवा!
चैत म्हौरतौ फूल फौरतौ,
सुंदर सहज असीम सजणवा!
मीठी मीठी पकी निबोळी,
जीम सकै तो जीम सजणवा!
आव पिया! मिळ बैठां हेटै,
छाँव है ठाडी हीम सजणवा!
हरियौ भरियौ औ तरूवरियौ,
जिण सूं ओपै सीम सजणवा!
डाळ डाळ हूं रहूं डोलती,
शीतळ बणै नसीम१ सजणवा!
खमै तावडौ देय छांयडौ,
मिंतर नीम नदीम२ सजणवा!
म्हौर चैत में नरपत महकै,
परिमल जाण शमीम३ सजणवा!
(१)नसीम-बसंत की ठंडी बयार (२)नदीम-घनिष्ठ मित्र (३)शमीम-ईत्र,
~~©वैतालिक