रांमदेवजी रा छंद

।।छंद-नाराच।।
मुदै मरू ज देश मंझ, हार संत हालियो।
दयाल़धीस द्वारका, निपूत भक्त नाल़ियो।
अखीज वीणती अजै ज, राज गेह रम्मणा।
पिछम्म धांम रांम पीर, सांम भीर सम्भणा।।1[…]

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