गीत भेरू जी रो – जगमाल सिंह “ज्वाला”

।।गीत सावझड़ो।।

मिणधर हाजर होय मुछाळा।
पत राखण आवे प्रतपाळा।
चंडी संग सदा चिर ताळा।
गजब दौड़ जे गोरा काळा।1।

श्वान सवारी आसन ढाळो।
टेरु तमे विघन मोय टाळो।
रेवे मात रु सदा रुखा ळो।
भगत पुकारे सामो भाळो।2। […]

» Read more

कवि श्रेष्ठ केशरोजी खिड़िया

स्वामी भक्ति, देश भक्ति व संस्कृति रा सबल़ रुखाल़ा कविवर चानणजी खिड़िया चारण गौरव पुरुष अर जाति रत्न रै रूप मे जग चावा रैया है। जद चित्तौड़ रै किले मे सिसोदियां धोखै सूं वीर पुरुष राव रिड़मल (मंडोर )नै मार र आ घोषणा कराय दी कै कोई आदमी रिड़मल रो दाह संस्कार नी करेला। उण बगत चानणजी चित्तौड़ रै कानी मिली जागीर कपासण मे रैवता। उणां नै आ ठाह लागी कै राव रिड़मल रै साथै विश्वासघात होयग्यो अर अबै उणरी देह री दुरगत होय रैयी है तो वै उठै आया अर रिड़मल री चिता बणाय दाग दियो। कैयो जावै कै […]

» Read more

भैरव स्तवन

🌺छंद त्रिभंगी🌺
काशी रा काळा, दीन दयाळा,वीर वडाळा, वपु -बाळा।
कर दंड कराळा, डाक-डमाळा, चम्मर वाळा, खपराळा।
मथ अहि मुगटाळा, ललित लटाळा, घूंघरवाळा, छमां छमा।
खं खेतरपाळा, रह रखवाळा, रूप निराळा, नमां नमां॥1॥ […]

» Read more
1 2