चाकरनो संग

||छंद रेखता||

कविराज कहे राजनीत रुडी,सामे कान कपाट न खोलता है
शूर नाम कथा कहे रामकथा,ऐक आखर आप न बोलता है
सुणी चानक गोकळराज समा,महाराज न बोलत डोलता है
मेरा ठाकर चाकर संग करी,नित कूडका चापडा छोलता है…

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