गीत जात अरटीयो-जगमाल सिंह ‘ज्वाला’ कृत

सोच रहयो हर रोज सीतावर, कैसा खेल रचाया।
मिळे कठे हर खोजो मंदिर,अजु समझ नही आया।1।

लोग कहे ओ मीरां ने लाधो,सुरती जाय समाणी।
आवत जात दिखी नह आँखे,पाणी मिळयो पाणी।2।

ईसर दास तो हतो खुद ईसर,घोडा समद धुमाया।
परभु य आय बांह ते पकड़ी,ले झट गळे लगाया।3। […]

» Read more