अनीति सार – जगमाल सिंह ‘ज्वाला’कृत

🌷गीत सोरठियो🌷
करनल सामेय भिड़े कानो ज,भाग थारा भाळ।
मौन होयने य सुणजोय मानव,केम खींचे काळ।1

गामेय सामो ज भगेय गीदड़,मौत नेड़ी मान।
अकल चरवान जाय ऊखरड़ेय,उलट सूझे आन।2।

रावण सरीखोंय कोइ न राजा,घाली सीता घात।
धमरोळ लंकाय दीधी धमचक,वसु अजे विख्यात।3। […]

» Read more