आज आवसी अंबिका

आज आवसी अंबिका, मन मंदिर रे मांझ।
हरखित हुय हुलसित फिरुं, मेहाई महराज।।२४८
आंगण आज बुहारियौ, आवै माजी आज।
जाजम लाल जमायदूं, मेहाई महराज।।२४९
कंचन कळस मंडाय दूं, गंगा जळ भरिया ज।
सामेळो सुंदर करुं, मेहाई महराज।।२५०
ढोली ढोल वजाडता, झालर वेळा आज।
जय जय गूंजै आपरी, मेहाई महराज।।२५१[…]

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बाई पाती बांचजै

जो नँह करणी जनमता, मेहा रे घर मांझ।
उण नें करतो याद कुण, मेहाई महराज।।२३०
बेटी करणी मात बण, जाया कुळ किनिया ज।
अमर पिता जुग जुग कियो, मेहाई महराज।।२३१
भळळळ कुंडळ भळकता, झळळ हार गळ मांझ।
अनुपम आभा आप री, मेहाई महराज।।२३२
लोवड लाल लखावणी, डमरु हाथ लियां ज।
कर कंकण कंचन धर्या, मेहाई महराज।।२३३[…]

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तंत्रोक्त देवी सुक्तम का भावानुवाद

देव नमो देशाणपत, सगती रूप शिवा ज।
प्रणमुं भद्रा प्रकृति, मेहाई महराज।।२००
नित्या रूद्राणी नमूं, गौरी धात्रि मां ज।
ससि रुपा जोसना सुखा, मेहाई महराज।।२०१
कल्याणी वृधि सिध करा, राखस लिछमी राज।
श्री-राजा, शिव सहचरी, मेहाई महराज।।२०२
दुर्गम पार उतारणी, सारां सारण काज।
ख्याति क्रृष्णा धूमवत, मेहाई महराज।।२०३

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करै भळायां काज

जिण नवघण जिमाडियो,बाई दळां बळाज।
वा अनपूरण बिरवडा,मेहाई महराज॥153
भाले नवघण रे भली ,बाई रही बिराज।
सुगनचिडी बण मां स्वयं,मेहाई महराज॥154
भावनगर रा भूप रा,किया मात घण काज।
खोडल मां खुद है स्वयं,मेहाई महराज॥155 […]

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शतक बणे वा सतसई

शतक बणे वा सतसई,ललित लेखणी काज।
सुरसत खुद भेजी स्वयं,मेहाई महराज॥ 105
शतक बणै वा सतसई,उणरी नी परवा ज।
म्है बस चाहूँ बोलणो,मेहाई महराज॥ 106
थळ जळ अर पातळ तथा,अतळ वितळ अधिराज।
सृष्टि सकळ संचालिका,मेहाई महराज॥ 107 […]

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उडै सदा आकास जिम

गुरुवर गणपत औ गिरा,म्हारी थूं सब मां ज।
इणसूं वंदन आपनें,मेहाई महराज॥1
एक रदन अर गज बदन,ह्रदय सदन मँह राज।
आखर लिखणा अंब रा,मेहाई महराज॥2
क्यूं गणपत वंदन करूं,जिणरी पण थूं मां ज।
गौरी रुप गिरिजा स्वयं,मेहाई महराज॥3 […]

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गमियो मूषक राज

गणाध्यक्ष गण राज रो, गमियो मूषक राज।
तद तव मंदिर आविया,मेहाई महराज॥97
कोई उणनें जद कह्यो,मूषक उठै घणाज।
देशाणै रे देवळे,”मेहाई महराज॥98
उछळ कूदता ऊंदरा,गजब देख गणराज।
मन मूंझ्या वां पण कह्यौ,”मेहाई महराज॥”99 […]

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आवाहण गीत

गोखां गिरनार हुंत गज गामण,
कामणराय आप शिव कामण,
जवाळामुखी आव जग जामण
संकट हरण महा सुर सामण॥1॥

धवळ गिरे सौधे धिणयाणी.
सिहलदीप हूंतां सूर राणी
कामरु देश कमख्य कहाणी
करि छोरु उपर किनीयाणी ॥2 […]

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शत्रु पराजय देवी आवाहण स्तोत्र – कवि डोसा भाई झीबा

छंद : छप्पय

आवड,खोडल आव, आव मोंगल मछराळी।
मात आव मेलडी,जाग ज्वाळा डाढाळी।
अंबा ,करनल आव,आव बहचर बिरदाळी।
हाली आव हिंगोळ,गैल , राजल , महाकाळी।
समरथ सकळ नव लख शगत,चौरासी सह चारणाँ।
उपरां देवी आवो अवस ,सेवग काज सुधारणाँ॥1[…]

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सीस उबेल़ण आव शकत्ती।-अज्ञात

मढ हूँत बेग पलाण मखत्ती, बावन झूल सहेत बखत्ती
हेकण ताल़ी बाघ हकत्ती, सीस उबेल़ण आव शकत्ती।

साख बीससत काज सरन्नी, बेद किसो जिण जाय बरन्नी
धाबल़ लोवड़ ताय धरन्नी, कवि उबारण आव करन्नी।

शीश चाड जणा साद सुणीजे भारी हुवै कामल़ी भीजे
देबी आय बेग सुख दीजे, किनियाणी अब जेज न कीजे […]

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