साख रा सबद

‘दलित-सतसई’ श्री लक्ष्मणदान कविया री सद्य प्रकाशित काव्यकृति है। इणसूं पैली सतसई सिरैनाम सूं आपरी रूंख-सतसई, रुत-सतसई, मजदूर-सतसई अर दुरगा-सतसई (अनूदित) आद पोथियां छपी थकी है। दूहा छंद में सिरजी आ पोथी ‘दलित-सतसई’ आपरै सिरैनाम री साख भरती दलितां री दरदभरी दास्तान रो बारीकी सूं बखाण करै। कवि रो मानणो है कै मिनख मिनख सब अेक है पण मामूली स्वारथां रै मकड़जाळ में फंसियोड़ा मिनखां मिनखाचारै पर करारी मार मारी अर मिनखां में फांटा घाल दिया।[…]
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