सदा ऋचावां साम री
रस मय कविता गागरी, छलके दोहा छंद।
डिंगळ री डणकार में, आठ पोर आणंद॥1
मन रो नाचै मोरियौ, आठ पोर अणमाप।
डिंगळ री डणकार में, डफ मृदंग री थाप॥2
वीण पाणि वर दायिनी, बसती अठे विशेस।
आठूं पोर उछाळती,कविता रतन हमेश॥3 […]
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रस मय कविता गागरी, छलके दोहा छंद।
डिंगळ री डणकार में, आठ पोर आणंद॥1
मन रो नाचै मोरियौ, आठ पोर अणमाप।
डिंगळ री डणकार में, डफ मृदंग री थाप॥2
वीण पाणि वर दायिनी, बसती अठे विशेस।
आठूं पोर उछाळती,कविता रतन हमेश॥3 […]
शबद अमीणौ साइनो, मै शबदां रो पीर।
करुं शबद आराधना, सुरसत रे मंदीर॥1
शबद दरद, अहसास मन, वाणी, ध्वनि, लय, छंद।
यति, गति मय विध रुप धर, उर बगसे आणंद॥2
म्हूं शबदां रो जोहरी, कविता नवलख हार।
पोयी लडियां शबद री, “शारद कर स्वीकार”॥3 […]
रे फूलों रा राजवी, गाढा रंग गुलाब।
दरस परस दोनूं कियां, दुख दे मन रा दाब॥1
गहरा फूल गुलाब जी, आयौ थारे पास।
आणँद मन नें आपजै, मन मत करे निराश॥2
गहरा फूल गुलाब रा, कंटक मँह आवास?
सबरो घर सुरभित करे, पण खुद ने दे त्रास।3 […]
गिरधर दान जी सा दासोड़ी, आपरी काव्य प्रतिभा ने नमन करता थका आपरे श्री चरणों में आ गीत राखु। म्हे जेड़ो देख्यो अर सुण्यो वा ओपमा देवण री कोशिस करी।
शेल पर दिखे ज्यो चमकतो चाँद लो।
एम ही गिरधर आखरां ओपे।
गद्य री पद्य री जाण अति गूढ़ता।
रस में झाड़ रा झाड़ तू रोपे।1।
पलकों में उमडा सखी, यादों का सैलाब।
लगी बरसनें आंख फिर, भीगे सारे ख्वाब॥1
(पलकां सजनी आवियौ, यादों रो सैलाब।
आंख हुई सावण झडी, भिंज्यां सारा ख्वाब॥1)
यादों की सोनापरी, आ बैठौ मन मांय।
सखी तुम्हारे वासते, जाजम रखी बिछाय॥2
(यादों री सोनापरी, आव बैठ मन मांय।
सजनी थारै वासतै, जाजम दई बिछाय॥2) […]
गडियोडो धन थूं सखी, पडियौ मन संदूक।
खडो रहै प्हौरो भरूं, हाथ-कलम-बंदूक॥1
(गडा खजाना तू सखी, पडा मनोसंदूक।
खडा खडा पहरा भरुं, तान कलम -बंदूक॥1) […]
» Read moreपाप कियो विधना तु पशुव्रत, लोक त्रिलोक ज आज सुलाने।
बांह उखाड़ लई मुझ बांधव, बाट करी मुझ काळ बुलाने।
हे ‘जगमाल’ जवाब नही अब, आगळ कोशल नंद उलाने।
काळज काढ़ रुवे करुणाकर, भ्रातज आगळ सोय भुलाने।1। […]
किसै धर्म री बात करै तूं?
बात- बात में घात करै तूं!
मिनख मारणो बोल बेलीड़ा।
किसै देव री जात करै तूं?
ओ तो किसो लांठापो थारो?
खुद सूं खुद नै मात करै तूं!
सोनै रो संसार उजाड़ै !
पीतल़ ऊपर पात करै तूं? […]
करै कुण कोड बेटी रा, खड़्या खम ठौर मारण नैं।।
जगत में आण सूं पै‘ली, जकी रा लाख दुश्मण है।।
हुई जद आस आवण री, नयो मेहमान निज घर में।
बधायां बांटती दादी, फिरी हर एक घर-घर में।।
मिली जद जाँच में बेटी, लगी क्यों लाय लागण नै।
करै कुण कोड बेटी रा, खड़या खम ठौर मारण नै।।1।।[…]
आखर रो उमराव,अवस कवि सुण आशिया।
समपै लाख पसाव, अवस कवि सुण आशिया।
दाखत दोहा छंद, गज़ल गीत कहतौ गज़ब।
भरने उरमें भाव, अवस कवि सुण आशिया॥
गीत दोहरा छंद, ह्रदय भाव बेकार है ,
गैला रो औ गांव,अवस कवि सुण आसिया॥ […]