हाथी रै दांतुसल़ां बींध्योड़ै वीर, हाथी रो कुंभस्थल़ चीरियो
राजस्थानी वीरां री वीरत री कीरत यूं ई नीं है। इणां बगत पड़ियां आपरो आपाण बतायो अर जगत में सुजस लियो। किणी कवि सही कैयो है कै “सिर पड़ियां खग सांभणा इण धरती उपजंत।” इणी वीरां री अतोल वीरता रै कारण शक्तिदानजी कविया इणां नै नर रत्न मानतां लिखियो कै मरू प्रांत रै रतनां मे वीर एक अमोल रतन है :- संत सती अर सूरमा सुकवि साहूकार पांच रतन मरू प्रांत सोभा सब संसार।। सगल़ै संसार में इणां रै सुजस री सोरम पसरी थकी। ऐड़ो ई एक सूरमो होयो भाटी जोगीदास। भाटी जोगीदास जिकी वीरता बताई वा आज ई सुणियां वीरां […]
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