आवडजी रो चित्त इलोळ गीत
।आवडजी रो चित्त इलोळ गीत।
उमा रुप अनूप अवनि, आवडां लखि आदि।
बरण चारण जलम बाढी,आप किरती अनादि।
तौ अन्नादि जी अन्नादि अंबा अवतरी अन्नादि॥1॥
तौ धन्य जैसलमेर धरती,ग्राम चाळक गण्य।
साहुआं शाख तणो सुरज,मामडो कवि मन्य।
तौ धन्य हो जी धन्य,धारी देह उण धर धन्य॥2 […]