डूंगरराय री आरती

ऊँ जय मामड़याल़ी मा जय मामड़याली।।
चारण वंश उजाल़ण चंडी,
पाल़ण प्रतपाल़ी।
आवड़ रूप अवतरी अंबा,
सातूं सतवाली।।
ऊँ जय मामड़याल़ी।।१[…]
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ऊँ जय मामड़याल़ी मा जय मामड़याली।।
चारण वंश उजाल़ण चंडी,
पाल़ण प्रतपाल़ी।
आवड़ रूप अवतरी अंबा,
सातूं सतवाली।।
ऊँ जय मामड़याल़ी।।१[…]
मो पर करो कृपा करनेल कृपानिधि, मात मेहाई ए।
मात मेहाई ए दयानिधि, मां महमाई ए।
मो पर करो कृपा करनेल कृपानिधि, मात मेहाई ए।। टेर।।
सुत कै और सहारो नांही, सुण सुरराई ए
एक तुंही आधार अंबिका, मां वरदाई ए
मो पर करो कृपा करनेल कृपानिधि, मात मेहाई ए।। 01।।[…]
झुरै घरनार परिवार में अपार दुःख,
करै हाहाकार सारे मीत यार नाहटा।
कौन करे सार सत्कार सदसाहित को,
कौन दे दुलार मान मनुहार नाहटा।
करत गुहार बार बार सो संभार देख,
भाषा अरु साहित पे मोटी मार नाहटा।
‘गजादान’ कहे अेक बार आ’र गल्ल कर,
‘लाडी’ कह पुकार यूं उतार भार नाहटा।
आसा ईशर अवन उण, प्रगट्या मोटा पात।
भोम अहो भादरेस री, विमल़ चहुदिस बात।।
।।गीत वेलियो।।
आयो कुळ जात उजाळण अवनी
भायो भोम नमो भादरेस,
सूरै भाग सरायो सारां।
ईसर पायो पूत आदेस।।1[…]
परम श्रद्धेय ठाकुर नाहरसिंह जी माथै डिंगल़ रा सिरै कवि आदरणीय डूंगरदानजी आशिया री एक रचना- ठाकर नाहर सिंह जी जैङौ भलौ,अपणायत हितैषी अर विनम्र राजपूत इण समय में कीकर जलमीयो,ऐङा राजपूत तौ पांच सौ सातसौ वरसां पैली हुआ करता। इण भाव रौ एक गीत नजर।
।।गीत।।
पांच सातसौ वरसां पैली,
जणवा नाई खाती जाट।
जात जात री माटी जिणसूं,
घङवा लग्यो विधाता घाट।।1।।