लोक में आलोक के कवि डॉ आईदानसिंह भाटी

जैसलमेर के रेतिले गांव ‘ठाकरबा’ में जन्मे डॉ आईदानसिंह भाटी भले ही एक जाने-माने आलोचक और एक प्रखर कवि के रूप में समादृत हैं परंतु सही मायने में ये आज भी शहरी चकाचौंध में गंवई संस्कृति के प्रबल पैरोकार, संस्कारों को अपने में जीने वाले संजीदा इंसान के रूप में भी अपनी अलग पहचान रखतें हैं। वर्षों महाविद्यालयों में अध्यापन कराने व शहरी वातावरण में रहने के बावजूद भी गांव इनके जहन से निकल नहीं पाएं हैं। आज भी गांवों की आत्मीयता, अनौपचारिकता, बेबाकी, खुलापन, सहजता तो परिलक्षित होती ही है, साथ ही भाव व भाषा को भी पूरी शिद्दत के साथ अपनी पहचान बना रखा है।[…]
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