विलल़ा मिनख रूंख नैं बाढै!

।।गीत – वेलियो।।
परघल़ रूंख ऊगाय परमेसर, अवन बणाई ईस अनूप।
विलल़ा मिनख रूंख नैं बाढै, वसुधा देख करै विडरूप।।1

पँचरँग चीर धरा नैं परकत, हरियल़ हरि ओढायो हाथ।
मेला जिकै मानवी मन रा, गैला करै विटप सूं घात।।2[…]

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शेर तथा सुअर की लड़ाई का वर्णन – हिंगलाजदान जी कविया

।।छंद – सारंग।।
डाकी इसा बोलियो बैण डाढाळ।
कंठीरणी छेड़ियो कुंजरां काळ।।
जाग्यो महाबीर कंठीर जाजुल्य।
ताळी खुली मुण्डमाळी तणी तुल्य।।
घ्रोणी लखे सींह नूं गाजियो घोर।
जारै किसूं केहरी ओर रो जोर।।

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गुरु वंदना – देवी दान देथा (बाबिया कच्छ)

।।छंद त्रिभंगी।।
श्री सदगुरु देवा, अलख अभेवा, रहित अवेवा, अधिकारी।
गावत श्रुति संता, अमल अनंता, सबगुनवंता, दुखहारी।
तजि के अभिमाना, धरही ध्याना, कोउ सयाना, रतिधारी।
जय इश्वर रामं, ब्रह्म विरामं, अति अभिरामं, सुखकारी।।१[…]

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गये बिसारी गिरधारी – त्रिभंगी छंद – स्व. देवीदान देथा (बाबीया कच्छ)

।।छंद त्रिभंगी।।
ब्रज की सब बाला, रूप रसाला, बहुत बिहाला, बिन बाला,
जागी तन ज्वाला, बिपत बिसाला, दिन दयाला, नंद लाला।
आए नहि आला, कृष्ण कृपाला, बंसीवाला, बनवारी।
कान्हड़ सुखकारी, मित्र मुरारी, गये बिसारी, गिरधारी।।१[…]

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आवड़ वंदना – जय सिंह सिंढायच मण्डा (राजसमन्द)

।।छंद रोमकंद।।
कलिकाल महाविकराल़ हल़ाहल़,धीर कुजोर बढै जवनां।
भव भार उतारण दास उबारण, कारण याद करे वचना।
बिसरी नहि अंब दयाल़ अजू, गण चारण ने वर आप दयो।
जय मावड़ आवड़ बीसभुजा बड, लाखिय लोवड़वाल़ जयो।
जिय माड धिराणिय माय जयो।।१[…]

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