गीता रौ राजस्थानी में भावानुवाद-आठवौ अध्याय
आठवौ अध्याय – अक्षरब्रह्मयोगः ।।श्लोक।। किं तद् ब्रह्म किमध्यात्मं किं कर्म पुरुषोत्तम। अधिभूतं च किं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते।। ।।चौपाई।। ब्रह्म, अध्यात्म, करम ज कै है? अधिभूत ज कुण सो वाजै है? अधिदैव ज किसड़ौ कैवै है ए इण देह में कठै व्है है?।।१।। ।।भावार्थ।। अर्जुन भगवान् श्रीकृष्ण नै पूछै -हे पुरुषोत्तम! वौ ब्रह्म कांई व्है? है, अध्यात्म कांई व्है? अर करम किण नै कैवै है? इण अधिभूत नाम सूं कांई कह्यो है? अर अधिदैव(बड़ौ दैव) किण नै कैवै है?।।१।। ।।श्लोक।। अधियज्ञ: कथं कोऽत्र देहेऽस्मिन्मधुसूदन। प्रयाण काले च कथं ज्ञेयोऽसि नियतात्मभि:।।२।। ।।चौपाई।। अधियग्य ज औ कुण सो व्है है? औ इण देह […]
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