रघुवरजसप्रकास [12] – किसनाजी आढ़ा
— 298 — वारता गीत पालवणी १, गीत झड़लुपत २, गीत दुमेळ ३, गीत त्रबंकड़ौ ४ नै सावक अडल, अे पांच छोटे सांणोर री विखम तुक पै’ली, तुक तीजी अे विखम तुक त्यांरा वणै नै यतरा गीतां रै तुक प्रत सोळै मात्रा हुवै नै मोहरा में तफावत होय। कठे’क गुरु तुकांत कठे’क लघु तुकांत होवै नै यतरा गीत बडा सांणोर री विखम तुकां रा वणै, सावझड़ौ अरध सावझड़ौ आद। तुक प्रत मात्रा बीस होय। पै’ली तुक मात्रा तेवीस होय। अथ गीत बडा सावझड़ा तथा अरध सावझड़ा लछण दूहौ मुण धुर तुक तेवीस मत, अवर वीस रगणंत। मिळ चव तुक वड […]
» Read more