यह मंदिर मंदिर नहिं केवल, यह गौरव सौगात है

 आज प्रफुल्लित अवध धरा है, पूर्ण अधूरे काम हुए पुनः प्रतिष्ठित नव मंदिर में, भारत गौरव राम हुए सदियों की काली अंधियारी, जैसे बीती रात है। यह मंदिर मंदिर नहिं केवल, यह गौरव सौगात है।।01।। आज उल्लसित कण-तृण सारे, स्वयं पधारे रघुनंदन। लेत बलैयां झुकी लताएं, करते पादप अभिनंदन। मधुर मधुर स्वर छेड़ विहंगन, सबका हिय हरखात है। यह मंदिर मंदिर नहिं केवल, यह गौरव सौगात है।।02।। मंदिर की क्या बात राम के, मंदिर हर इक ग्राम मिले। घर घर में मंदिर भारत के, हर मंदिर में राम मिले। हर हिन्दू के स्वाभिमान का, नाता इसके साथ है। यह […]

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