कीरत गिरधर आ कत्थी

।।छंद – रेंणकी।।
हरणी हर कष्ट समरियां हर दिन, करणी तूं हर काज करी।
सरणी नर रटै सबर रख, सांप्रत, खबर जैण री जबर खरी।
झरणी नित नेह बाळकां, जरणी, वरणी जस इळ बीसहथी।
तरणी कळु नीर डूबती, तारण, भीर करै मा भगवती।।१

फसियो इळ पाप बहू विध फंदन, बंधन कितरा है ज वळै।
विसर्यो पड़ दोख तिहाळो वंदन, भाळो मंदन बुद्ध भळै।
इम आप तणो अवलंब, ईसरी, जाप नेम री नह जुगती।
तरणी कळु नीर डूबती, तारण, भीर करै मा भगवती।।२[…]

» Read more

सब बातन को सार

बड़ो को सनमान अरूं छोटो को स्नेह धार,
लाग लपटान बिनां खरी खरी कहबो।
झूठ जँजाल अरूं छदम को पँपाल त्याग,
हक की हजार लेय बेहक को तजबो।

आडंबर वेश नहीं धूर्त को आदेश नहीं,
कथनी रू करनी में भेद बिनां रहबो।
अरे भाई ! गीध सब बातन को सार यही,
सज्जन सों प्रीति अरूं नीति मग बहबो।।[…]

» Read more

लाखो फूलाणी लछो!!

“ठगीजै सो ठाकर” री बात कुड़ी नीं है। हथाई रो कोड हुवै उण नै दमड़ा खरचणा पड़ै। ओ काम कोई मोटै मन रो मानवी ई कर सकै। इण में कोई जात रो कारण नीं है। ऐड़ै ई एक मोटै मन रै मिनख रो किस्सो चावो है।

पोकरण रै पाखती गांव लालपुरो। रतनूवां रै जागीरी रो गांम। इण गांम रै रतनू भोजराज री उदारता विषयक ओ दूहो घणो चावो-

लायक रतनू लालपुर गिरवर सुत बड गात।
कवि भोजै री कोटड़ी रहै सभा दिन रात।।

उल्लेखणजोग है कै सिरूवै में रतनू तेजमालजी हुया। जिणांरा माईत बाल़पणै में ई गुजरग्या हा। नेनप पड़गी। इणां रो नानाणो भाखरी रै मिकसां रै अठै। तेजमालजी री मा तेजमालजी नै लेय आपरै पीहर भायां कनै आयगी। दिन लागां तेजमालजी मोटा हुया। भाग बारो दियो। घोड़ां रा मोटा वौपारी हुया। एकर चांदसमा ठाकुर लालकरनजी इणां सूं एक घोड़ो लियो पण रकम ऊभघड़ी हुई नीं जणै ठाकुरां तेजमालजी नै कह्यो कै “आप सिरूवै क्यूं रैवो? म्हारै कनै रैवो। आवण-जावण रो पंपाल़ मिटै।”[…]

» Read more

व्रजलालजी रो विविध वरणो काव्य : विजय विनोदः गिरधर दान रतनू दासोड़ी

चारण जाति आपरी विद्वता, प्रखरता, सत्यवादिता अर चारित्रिक दृढ़ता रै पांण चावी रह्यी है। इणी गुणां रै पांण इण जाति नैं मुलक में मांण मिलतो रह्यो है। संसार रै किणी पण कूंट में अेक ई अैड़ो उदाहरण नीं मिलै कै चारणां टाळ दूजी कोई पण जाति समग्र रूप सूं आपरै साहित्यिक अवदान रै पांण ओळखीजती हुवै! चारण ई अेक मात्र अैड़ी जाति है जिणरो राजस्थानी अर गुजराती साहित्य रै विगसाव पेटै व्यक्तिगत ई नीं अपितु सामूहिक अंजसजोग अवदान रह्यो है। इणी अवदान रै पेटै लोगां इणां री साहित्यिक सेवा रो मोल करतां थकां राजस्थानी साहित्य रै इतियास रै अेक काळखंड रो नाम ‘चारण साहित्य’ तो गुजराती में इणां री प्रज्ञा अर प्रतिभा री परख कर’र इणां रै रच्यै साहित्य रो या इण परंपरा में रच्यै साहित्य रो नाम ‘चारण साहित्य’ रै नाम सूं अभिहित कियो जावै।[…]

» Read more

वीरता किसी की मोहताज नहीं होती !!

डिंगल़ के सुविख्यात कवि नाथूसिंहजीजी महियारिया ने क्या सटीक कहा है-

जो करसी जिणरी हुसी, आसी बिन नू़तीह!
आ नह किणरै बापरी, भगती रजपूतीह!!

अर्थात भक्ति और वीरता किसी की बपौती नहीं होती, यह तो जो प्रदर्शित अथवा करते हैं उनकी होती है। इसमें कोई जाति का कारण नहीं है। इस बात को हम दशरथ मेघवाल के गौरवमयी बलिदान की गाथा के मध्यनजर समझ सकते हैं। जब कालू पेथड़ और सूजा मोयल (दोनो राजपूत) ने करनी जी की गायों का उस समय हरण कर लिया जब वे पूगल राव व अपने ‘धर्म भाई’ शेखा की सहायतार्थ मुलतान गई हुई थी।[…]

» Read more

उण अनमी अवनाड़ां रा सीस!!

मन री बातां करणियां रै
कांई नीं है कोई
ऐड़ी रीत,
जिणसूं ऊग जावै
कठै ई ऊंडै काल़जै
प्रीत रा पनूरा!!
कांई नीं है
वा कनै
आंशुवां रो कोई समंदर!
छौ, कोई बात नी!
संवेदनावां तो
शायद होवैली जीवती![…]

» Read more

वाह बीकाणा वाह!!

राव वीकै रै बसायै नीकै नगर रो नाम है बीकानेर। जूनो नाम जंगल़, जिणरी कदैई राजधानी होया करती जांगल़ू। जठै दइयां अर सांखलां राज कियो। इणी धरा माथै कदैई छोटा-छोटा दूजा जाट राज ई होया करता, वां सगल़ां नै आपरै बुद्धि अर आपाण रै पाण सर कर वीकै ओ सुदृढ राज थापियो अर नाम राखियो बीकानेर। जिणरी नींव करनीजी खुद आपरै हाथ सूं लगाय वीकै नै निरभै कियो अर रैयत सूं सदैव प्रेम निभावण रो सुभग संदेश दियो-

वीको बैठो पाट, करनादे श्रीमुख कैयो।
थारै रहसी थाट, म्हारां सूं बदल़ै मती।।[…]

» Read more

म्है दाण नीं ! प्राण देवूंला

माड़वो पोकरण रै दिखणादै पासै आयोड़ो एक ऐतिहासिक गांम है। जिणरो इतिहास अंजसजोग अर गर्विलो रैयो है। पोकरण राव हमीर जगमालोत ओ गांम अखै जी सोढावत नै दियो। जिणरी साख री एक जूनै कवित्त री ऐ ओल़्यां चावी है-

हमीर राण सुप्रसन्न हुय, सूरज समो सुझाड़वो।
अखै नै गाम उण दिन अप्यो, मोटो सांसण माड़वो।।

इणी अखैजी रै भाई भलै जी रै घरै महाशक्ति देवल रो जनम हुयो-

भलिया थारो भाग, देवल जेड़ी दीकरी।
समंदां लग सोभाग, परवरियो सारी प्रिथी।।

ओ ई बो माड़वो है जठै भगवती चंदू रो जनम हुयो जिण सांमतशाही रै खिलाफ जंमर कियो। इणी धरा रा सपूत मेहरदान जी संढायच आपरी मरट अर स्वाभिमानी चारण रै रूप में चौताल़ै चावा रैया हा।[…]

» Read more

चोर निदाणै कै न्हासै!!

पुराणो जमानो मारकाट, लूट खसोट, दाबा मसल़ी रो हो अर्थात जिण री डांग उणरी ई भैंस! कणै लोग घात प्रतिघात कर लेता इणरो ठाह ई नीं लागत़ो। ऐहड़ो ई घात प्रतिघात रो एक किस्सो है तणोट रै राजकंवर देवराज भाटी रो।
देवराज भाटी भटींडै रै वराह राजपूतां रै अठै जान ले परणीजण गयो। वराह रै मन में भाटियां रै प्रति खारास उणां देवराज अर बीजै भाटियां साथै घात तेवड़ी अर पूरी जान रो धोखै सूं घाण कर दियो पण जोग सूं आ सुल़बल़ देवराज री सासू सुणली! उणरै मन में आपरी बेटी री ममता जागगी। बा नीं चावती कै कालै हाथ पील़ा किया अर आज उणरी बेटी लंबी पैरै! उण आपरी बेटी नैं विधवा होवण सूं बचावण सारु ‘आल’ राईकै नै बुलायो अर कैयो कै ‘देवराज नै रातो -रात कठै ई ऐहड़ी जागा छोडर आव जठै उणनै जीव रो जोखो नीं होवै। ‘ आल आपरी ‘जाणक’ सांढ माथै देवराज नै चढाय टुरियो जिको भटींडै सूं रात-रात में पोकरण री घाटी जाल़ां में पूगग्यो। अठै सांढ बेल़ास रो भार झाल नीं सकी जणै आल देवराज नै कैयो ‘भलांई म्हनै अठै उतारदो अर सांढ आप ले जावो अर भलांई आप अठै जाल़ां में उतर जावो अर सांढ म्हनै ले जावण दो, क्यूंकै अबै सांढ बेल़ास (दो सवार) रो भार झेल नीं सकै ! ‘  जणै देवराज कैयो कै ‘सांढ तूं लेय जा अर म्हनै अठै उतारदे। ‘[…]

» Read more

रैवूं तो कांई? म्है अठै पाणी ई नीं पीवूं!!

भलांई आदमी किणी री मदत करण रै ध्येय सूं उणरो मदतगार बणर जावो पण साम्हली जागा पोल अर कमजोरी देख कणै मदत करणियो दुस्मण बण बैठे कोई ठाह नीं लागे। मंडोवर सूं राव रिड़मल आपरी बैन हंसाबाई रै कैणै सूं बाल़क राणै कु़भै री मदत करण गयो पण उठै जाय रिड़मल देखियो कै सिसोदियां रा हाल सफा माड़ा है। चाचा अर मेहरो किणी री गिनर नीं कर रैया है। रिड़मल रै खांडै में तेज हो, उणां री भुजावां में बल़ हो। उण बेगो ई आपरो प्रभाव जमा लियो। कुंभै रै वैरियां नैं गिण गिण मोत रै घाट उतार दिया। ऐहड़ै संक्रमण काल़ में रिड़मल इतरो ताकतवर होयग्यो कै बो किणी री गिनर नीं करतो। सिसोदिया शंकित रैवण लागा अर उणांनै डर लागण लागो कै कठै ई रिड़मल ‘आई तो ही छाछ मांगण अर बण बैठी घर धणियाणी ‘ वाल़ी गत नीं कर देवै। आ नीं होवै कै चित्तौड़ रा धणी राठौड़ बण बैठे!!
उणां आ बात राजमाता हंसाबाई अर राणा कुंभा नै बताई अर ऊंधा-सूंव भल़ै भ्रमाय उणां नै रिड़मल रै पेटे पूरा शंकित कर र रिड़मल नै मारण सारु मून हां भरायली। पण सिंह रै मूंडै में हाथ कुण देवै। […]

» Read more
1 23 24 25 26 27 50