डिंगल़ गीतां मांय चारण कवेसरां रो सूरापण

इण महाभड़ां रै टाल़ टीकमजी कविया बिराई, लूणोजी रोहड़िया सींथल, हरखोजी नगराजोत मूंजासर, भैरजी मीसण ओगाल़ा, अरजनजी किनिया सुवाप, मेहर दानजी सिंढायच माड़वा, करनीदानजी रतनू लूंबा रो गांम जोधजी बारठ तड़ला, धनजी लाल़स आकली, हणुवंतसिंह पदमावत सींथल़, विसन दानजी खिड़िया आद सतवादियां असत रै खिलाफ तत्कालीन शासक वर्ग द्वारा कियै समाज विरोधी कामां रै प्रतिकार सरूप घणी बहादुरी बताय तेलिया अर कटार कंठां कर जातीय गौरव नै अखी राखियो।
जैसलमेर महारावल़ रणजीतसिंह रै शासनकाल़ में चारणां सूं दाण लेवण रै विरोध में मेहरदानजी सिंढायच आपरो जिको आपाण बतायो बो आज ई चावो है-

जाय जैसाणै ऊपरै, जुड़ियो महिपत जंग।
अमलां वेल़ा आपनै, रेणव महरा रंग।।[…]

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म्हांरै कन्नै देवण नै फगत माथो है!!

सिरोही माथै महाराव केशरीसिंह रो राज। सिरोही राज रा आर्थिक हालात माड़ा। राज री माली हालात सुधारण अर कीं खजानो भरण री जुगत में दरबार कई नवा कर लगाय कर उगरावण रो दबाव बणायो। जिण लोगां नै कर उगरावण री जिम्मेदारी दी, उणां पुराणै कानून कायदां री धज्जियां उडावतां आडैकट उगराई शुरू कर दीनी।

इणी उगराई सारू एक जत्थो मोरवड़ै गांम ई ढूकियो। मोरवड़ा गांम महिया चारणां रो सांसण गांम। सांसण गांम हर प्रकार री लाग सूं मुक्त। आ बात जाणतां थकां ई दरबार रै आदम्यां आय लोगां नै भेल़ा किया अर टैक्स चुकावण री ताकीद करी। गांम रै मौजीज लोगां कैयो कै ओ तो सांसण गांम है! हरभांत री लाग-वाग सूं मुक्त, अठै आप इण पेटै हकनाक आया हो! अठै राज रा कानून नीं अठै म्हांरा ईज कानून चालै। आवणिया ई राज रा आदमी हा, उणां कैयो कै अबै इण भोपा डफरायां में कीं नीं धरियो है, टैक्स सादी सलाह में भरो जणै तो ठीक है नींतर राजरै हुकम सूं म्हांनै लैणो आवै।[…]

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पितृहंता नरेश नै साच री आरसी दिखावणियो कवि, दलपत बारठ

आज आपां लोकतंत्र में आपां रै बैठायोड़ै प्रतिनिधि नै साच कैवता अर बतावता शंको खावां हां तो आप अंदाजो लगावो कै राजतंत्र री निरंकुशता सूं मुकाबलो करणो कितो खतरनाक हो? पण जिका साच नै साच कैवण री हिम्मत राखै बै डांग माथै डेरा राखै। बै नी तो घणो आबाद रैवण रो कोड करै अर नी उजड़ण सूं भय खावै। ऐड़ो ई एक किस्सो है बारठ दलपत ई़दोकली रो।
उण दिनां मारवाड़ माथै महाराजा अजीतसिंह शासन करै हा। पुख्ता होवण रै छतापण उणां आपरै उत्तराधिकारी अभयसिंह नै राज नी सूंपियो। इण सूं अभयसिंह नै ओ भय रैयो कै किणी कारणवश राज नी मिलियो तो ठीक नी रैवैला। सो कीकर ई राज लियो जावै। उणां आपरै भाई बगतसिंह नै कैयो कै “म्हारो तो हमे राज करण री इच्छा रैयी नी, जे तूं राजा बणणो चावै तो कीकर दरबार नै हटा देअर राजा बणज्या। म्हारी आ सलाह है।” राज रै लालच में आय बगतसिंह आपरै पिता अजीतसिंह नै धोखै सूं मार नाखियां।[…]

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आखिर राख हुवै फुररै

भजरै रघुनाथ मनां दिन रात रु
कूड़ कपट्ट सदा तजरै।
लजरै बकवाद विवाद करै नित
नेक नहीं तुझ ओ कजरै।
सजरै परमारथ को करबा धुर
छांनरु नेह तणी छजरै।
नजरै कवि गीध करै जग रु मग
ओट गहै हरि की धजरै।।१

कररै हरि जाप रिदै निस वासर
आसर एक थिरू घररै।
धररै डग नीत तणी धर ऊपर
नाय अनीतन में फिररै।
दुररै कर धूरत मूरत को झट
भाव भला घट में भररै।
नररै सुण गीध कहै सत सांभल़
आखिर राख हुवै फुररै।।२[…]

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राखण रीत पुरसोतम राम

गीत-वेलियो
लंका जाय पूगो लंबहाथां,
निडर निसंकां नामी नूर।
दसरथ सुतन दिया रण डंका,
सधर सुटंका धानख सूर।।1

अड़ियो काज धरम अतुलीबल़,
भिड़़ियो असुरां गेह भुजाल़।
छिड़ियो भुज रामण रा छांगण
आहुड़ियो वड वंश उजाल़।।2[…]

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कवि की पहचान!!

कवियन के सिरताज, भूप के सदा प्रिय,
उकती उटीपी अहो धरा यश जानिये।
किसी की न परवाह बे चाह रहै सदाई,
वरदाई शारद के गावै गुनगानिये।
महाजन से मान देसोतन के सम कहो,
चहुंदिस वंदनीय मनो गुणखानिये।
दंभ नहीं द्वेष नहीं राग -अनुराग नहीं,
गिरधर सौभाग ऐसे महाकवि मानिये।।[…]

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अजै मेड़तिया मरणो जाणै!!

जद जोधपुर महाराजा अभयसिंहजी बीकानेर घेरियो उण बगत बीकानेरियां जयपुर महाराजा जयसिंहजी नै आपरी मदत सारु कैयो। जयसिंहजी फौज ले जोधपुर माथै चढाई करी। आ बात अभयसिंहजी नै ठाह पड़ी तो उणां बीकानेर सूं जोधपुर जावणो ई ठीक समझियो। जोधपुर उण बगत जयपुर रो मुकाबलो करण री स्थिति में नीं हो। राजीपै री बात तय हुई अर 21लाख जयपुर नै फौज खरचै रा दैणा तय होया, जिणमें 11लाख रो गैणो अभयसिंहजी री कछवाही राणी रो दियो अर बाकी रुपियां मौजीज मिनखां री साख में लैणा किया। जद किणी जयसिंहजी नै कैयो कै “हुकम ओ गैणो तो बाईजी राज रो है अर आप लेय रैया हो!!” जयसिंहजी कैयो कै “अबार ओ गैणो जयपुर री राजकुमारी रो नीं है अपितु जोधपुर री राणी रो है सो ले लियो जावै!!”
समझौतो होयां जयपुरियां री भर्योड़ी तोपां पाछी जयपुर रवाना होई।[…]

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प्रस्तावना

राजस्थान री धरा सूरां पूरां री धरा। इण धरा रे माथे संत, सती, सूरमा, सुकवि अर साहुकारां री ठावकी परंपरा रेयी है। जग रे पांण राजस्थान आखै मुलक में मांण पावतो अर सुजस लेवतो रेयौ है। डॉ शक्तिदान जी कविया रे आखरां में-

संत, सती अर सूरमा, सुकवि साहूकार।
पांच रतन मरूप्रांत रा, सोभा सब संसार।।

इण मरू रतनां रे सुजस री सोरम संचरावण वाळौ अठेरो साहित पण सजोरो। शक्ति, भक्ति अर प्रकृति रो त्रिवेणी संगम। शक्ति जाति वीरता रो वरणाव वंदनीय तो प्रकृति सूं प्रेम पढण वाळै नें हेम करे जेडौ तो इणी गत भक्ति काव्य भक्त ह्रदय सूं निकळण बाळी गंगधार। इणी गंग धार में नहाय आपरे जीवण रो सुधार करण रा जतन करणिया अठे रा कवेसर पूरै वतन में निकेवळी ओळखाण राखै। भक्ति काव्य री परंपरा घणी जूनी अर जुगादि। राम भक्ति काव्य कृष्ण भक्ति काव्य रे साथै साथै अठै तीसरी भक्ति धारा ई संपोषित ह्वी अर समान वेग सूं चाली। अर बा है देवी भक्ति काव्य धारा।[…]

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तूं क्यूं कूकै सांखला!!

“बारै वरसां बापरो, लहै वैर लंकाल़!!”

महाकवि सूरजमलजी मीसण री आ ओल़ी पढियां आजरै मिनखां में संशय उठै कै कांई साचाणी बारह वरसां रा टाबरिया आपरै बाप-दादा रा वैर लेय लेवता! आं रो सोचणो ई साचो है क्यूं कै आज इणां रा जायोड़ा तो बारह वरसां तक कांई बीस वरसां तांई रो ई रोय र रोटी मांगे!! सिंघां सूं झपटां करणी तो मसकरी री बात है बै तो मिनड़ी रै चिलकतै डोल़ां सूं धैलीज जावै!! जणै आपां ई मान सकां कै आजरो मिनख आ बात कीकर मानै? पैला तो हर मिनख आपरी लुगाई नै कैया करतो हो कै “जे आपांरै जायोड़ै में बारह वरसां तक बुद्धि, सोल़ह वरसां तक शक्ति अर बीस वरसां तक कुल़ गौरव री भावना नींआवै तो पछै उणसूं आगे कोई उम्मीद राखणी विरथा है”[…]

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म्है मरियां ई कोट भिल़सी !!

बीकानेर माथै जिण दिनां महाराजा सुजाणसिंहजी रो राज तो जोधपुर माथै अभयसिंहजी रो।
जोधपुर रै राजावां री कुदीठ सदैव बीकानेर माथै रैयी ही। उणां जद ई देखियो कै बीकानेर में अबार सत्ता पतल़ी है अथवा आपसी फूट रा बीज ऊग रैया है तो उणां बीकानेर कबजावण सारु आपरो लसकर त्यार राखियो।
ओ ई काम अभयसिंहजी कियो। ऐ ई बीकानेर माथै सेना लेय आया।[…]

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