डिंगल़ गीतां मांय चारण कवेसरां रो सूरापण

इण महाभड़ां रै टाल़ टीकमजी कविया बिराई, लूणोजी रोहड़िया सींथल, हरखोजी नगराजोत मूंजासर, भैरजी मीसण ओगाल़ा, अरजनजी किनिया सुवाप, मेहर दानजी सिंढायच माड़वा, करनीदानजी रतनू लूंबा रो गांम जोधजी बारठ तड़ला, धनजी लाल़स आकली, हणुवंतसिंह पदमावत सींथल़, विसन दानजी खिड़िया आद सतवादियां असत रै खिलाफ तत्कालीन शासक वर्ग द्वारा कियै समाज विरोधी कामां रै प्रतिकार सरूप घणी बहादुरी बताय तेलिया अर कटार कंठां कर जातीय गौरव नै अखी राखियो।
जैसलमेर महारावल़ रणजीतसिंह रै शासनकाल़ में चारणां सूं दाण लेवण रै विरोध में मेहरदानजी सिंढायच आपरो जिको आपाण बतायो बो आज ई चावो है-
जाय जैसाणै ऊपरै, जुड़ियो महिपत जंग।
अमलां वेल़ा आपनै, रेणव महरा रंग।।[…]