रात -रात तो मरुं कोनी!!

‘लिखी सहर सींथल़ सूं, आगे गांम कल़कतियै।‘ इण एक वाक्य सूं सींथल़ रै लोगां रो स्वाभिमान अर मातभोम रै प्रति अगाघ प्रेम नै परख सको। ओ वाक्य ई किणी कवि कै ठाकुर रै लिख्योड़ी कै लिखायोड़ो नीं है बल्कि ओ वाक्य सींथल़ रो हर साहूकार आपरै कल़कते रैवणियै पारिवारिक सदस्य नै कागज लिखती बगत लिखतो। इणी कारण तो डॉ शक्ति दानजी कविया लिखै कै मरू प्रांत रै पांच रतनां रै पाण ई इण धोरां धरती री सौभा आखै जगत में है-
संत सती अर सूरमा, सुकवी साहूकार।
पांच रतन मरू प्रांत रा, सौभा सब संसार।।
सींथल(बीकानेर)री धरती माथै संतां में हरिरामदासजी होया।[…]
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