मंडी रास दासोड़ी मढ में

।।गीत जांगड़ो।।
चवदस आसाढ चांदणी चंडी,
खळ खंडी धर खागां।
मंडी रास दासुड़ी मढ में,
रीझ अखंडी रागां।।1
कीधो उछब आज करनादे,
तद चौरासी तैड़ी।
सरसज मनां साबळी सगळी,
नाहर चढियां नैड़ी।।2 […]
Charan Community Portal
।।गीत जांगड़ो।।
चवदस आसाढ चांदणी चंडी,
खळ खंडी धर खागां।
मंडी रास दासुड़ी मढ में,
रीझ अखंडी रागां।।1
कीधो उछब आज करनादे,
तद चौरासी तैड़ी।
सरसज मनां साबळी सगळी,
नाहर चढियां नैड़ी।।2 […]
किणी राजस्थानी कवि रो ओ दूहो कितरो सतोलो है कै-
हीरा नह निपजै अठै, नह मोती निपजंत।
सिर पड़ियां खग सामणा, इण धरती उपजंत।।
आजरै संदर्भ में ओ दूहो भलांई केवल एक गर्विली उक्ति लागती हुसी जिणरै माध्यम सूं कवि आपरी मातृभूमि री अंजसजोग बडाई करी है पण जिण कवियां इण भावां रै मार्फत परवर्ती पीढी नै प्रेरणा दी है तो कोई न कोई तो कारण रह्यो ई हुसी। सूर्यमल्लजी मीसण लिखै–
बिन माथै बाढै दल़ां, पोढै करज उतार।
तिण सूरां रो नाम ले, भड़ बांधै तरवार।।[…]
उमड़ी जद कांठळ उतरादी,
भुरजां में बीजळ पळकी है।
अड़बड़ता वरस्या बादळिया,
खळहळती नदियां खळकी है।।
पालर सूं धोरा हद धाप्या,
तालर में डेडरिया बोलै।
मुधरा बोलै देख मोरिया,
कोयलियां कंठ मीठा खोलै।।
विघन विडारण वड वदन, अपण सदन उछरंग।
आद गणेशा आपनैं, रेणव आखै रंग।।1
कारज सिग करणो कठण, हरणो विघन हमेस।
इण कारण ईसर तणा, गहरा रंग खणेस।।
आद सुजस आखै इटल़, साच मनां कव सेव।
वीण धरण हंस वाहणी, सरसत रंग सदैव।।
बाजै देखो वायरो, लाज उडावण लीक।
रलकीज्या ऐ रेत में, ठाठ वडां रा ठीक।।1
मरट वडां रो मेटियो, समै किया इकसार।
भरम अबै तो भायलां, लेस न रैयो लिगार।।2
कठै गयो वो कायदो, कठै गई वा काण।
फट्ट मिल़ै कीं फायदो, वीरां! पड़गी बाण।।3 […]
।।छंद – रोमकंद।।
उमड़ी उतराद अटारिय ऊपड़, कांठल़ सांम वणाव कियो।
चित प्रीत पियारिय धारिय चातर, आतर जोबन भाव अयो।
वसुधा धिनकारिय आघ बधारिय, वा बल़िहारिय बात बही।
सुरराज करी गजराज सवारिय, मौज वरीसण आज मही।।
जियै, मौज समापण राज मही।।1 […]
वादल़िया वल़िया थल़ी, सधरा घुरै सजोर।
छटा अनोखी निरख छिब, मधरा बोलै मोर।।1
आयो सुरपत उमँगियो, काल़ी कांठल़ कोर।
ढब सज लाडो ढेल रो, मनभर नाचै मोर।।2
उमँग्यो मास असाढ में, तण तण वासव तोर।
जबर सवागत जेणरी, मनसुध सजियो मोर।।3 […]
।।कवत्त/छप्पय।।
हुई भीर हिंगल़ाज, जाझ जग तारण जरणी।
सदा केहरी साज, काज संतन रा करणी।
आरत सांभ अवाज, राज वाहर नित बैणी।
नमो गरीब नवाज, लाज रखण पख लैणी।
सगतियां तणी सिरताज तूं, सदा सहायक सेवियां।
उर दाझ मेट सुख आपणी, कर दल़ पासै केवियां।।1 […]
प्रहास शाणोर बिरखा रो
उरड़ियो आज उतराध सूं ऐरावतपति
खरै मन उमड़ियो बहै खातो।
गहरमन नाज अगराजतो घुमड़ियो
मुरड़ियो काल़ रो देव माथो।।1
।।छंद रेंणकी।।
चावो गोपाल़ चहुंदिस चांपो, सुतन आठ घर थाट सही।
सांप्रत रजवाट हाट उर साहस, मोद कोम जस खाट मही।
दुसमण दल़ दाट कोट नव दुणियर, भड़ अड़ लीधी आप भलू।
तोड़ण मुगलांण मांण कज तणियो, वणियो मरवा वींद बलू।।1 […]