काळिया सतसई
कवि गिरधर दान रतनू “दासोड़ी” कृत नीति विषयक एवं समसामयिक विषयों पर काळिया को संबोधित सवैये
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कवि गिरधर दान रतनू “दासोड़ी” कृत नीति विषयक एवं समसामयिक विषयों पर काळिया को संबोधित सवैये
» Read more।।छंद रैंणकी।।
सरवर बिन नीर मांम बिन सायर,
दान बिनां दातार दखां।
भूपत बिन राज काज बिन भलपण,
अंतस बिन अपणास अखां।
धेनूं बिन दूध बिनां धन धणियां,
मांण बिनां मेहमांण मुणो।
गिरधर कवियांण सुणी कथ गहरी
घर बेटी बिन जेम गिणो।।१[…]
धरण रो मत कर चीरहरण
कल़जुग रा दुसासण!
मत मान
दुजोधन रो कैणो
सैणो है तूं
ऐणो क्यूं बणै है?
खिणै क्यूं है खाडो ?
निज हाथां सूं
निज नै ई पटकण ऊंडेरो
सत मत मिटा […]
ओल़भो!
कीकर देवांला ?
देवांला किणनै ओल़भो?
पाव री ठौड़ !
पंसेरी रो घाव!
कर रैया हो डाव ऊपर डाव
साव साचाणी
बल़ियोड़ै मूंडै
कीकर देवांला फूंक
अपरोगा लाग रैया है […]
तल़तल़ीज्या तल़तल़ाटै सूं
हल़फल़िया
डरिया -घिरिया
आकल़ -बाकल़ होय
थकतां -थकतां ई
तकतां -तकतां ई
जोय लियो एक आसरो!
गांव रै गवाड़ में
घेर घुमेर ऊभा
आभै सूं बंतल़ करता […]
सांई दीन दरवेस सही ई लिखियो है कै मित्र ई करणो है तो चारण नै करणो चाहीजै क्यूंकै वो ई जीवतै नै अर मरियां पछै ई समरूप सूं चितारै – मित्र कीजै चारणां, बाकी आल़ पँपाऱ। जीवतड़ां जस गायसी, मूवां लडावणहार।। इण बातरी सार्थकता सिद्ध करणिया घणा ई किस्सा है। ऐड़ो ई एक किस्सो है कविवर कान्है आढै रो। बीकानेर राव जैतसी रो समकालीन कवि कान्हो इणी रियासत रै गांव भालेरी रो वासी हो। मोटो अमल रो बंधाणी। एक सेर अमल रो मावो थित रो। कम आमदनी रो गांव अर इतरो नसो सो पार पड़णी दोरी। कणै किणी ठाकर रै तो कणै […]
» Read moreईंदोकली (नागौर) गांव आपरी साहित्यिक अर सांस्कृतिक चेतना रै पाण चावो रैयो है। इण गांव में एक सूं बधर एक कवि अर सूरमा होया जिणां चारणाचार नै मंडित कियो अर जगत में सुजस लियो। बारठ अखैजी रै वंशजां रै इण गांव में आंकधारी जनमिया जिणां आपरी बांक नै कायम राखी। रणांगण में जूझण री इण घराणै री आदू ओल़ रैयी है।सिहड़दे सांखलै रै साथै रूण री राड़ में अलाऊदीन रै खिलाफ वीरगति वरणियो सांढल, आऊवै रै धरणै में चारणां री कीरत निकलंक राखणिया बारठ अखोजी, च़ंद्रसैण रै साथै जूझणियो बारठ भल्लण अर वीर रतनसी जैड़ै सपूतां री कड़ी में ई […]
» Read moreराजस्थानी डिंगल़ साहित्य री साधना में जिकै साहित्य साधक लागोड़ा है वै नाम री नीं काम री वाट बैय रैया है।इणां री रचनावां में राजस्थान रै इतिहास, संस्कृति अर लोक भावनावां री सजोरी व्याख्या होई है।भक्ति ,संस्कृति अर प्रकृति रै पेटै इणां आपरी कलम रो कमाल दिखायो है।म्हारा कीं दूहा ऐड़ै ई साहित्य साधकां नैं समर्पित-
दूहा
गोविंद सुत कवियो गुणी, वसू वडो विद्वान।
गिरा गरिमा गजब्ब री, दाटक शक्तिदान।।१ […]
आदरणीय मोहनसिंहजी रतनू री पंक्ति “हाल पिया हरिद्वार” माथै कीं दूहा -गिरधरदान रतनू दासोड़ी
पाप प्रखालण प्रेम सूं,समझ जीवण रो सार।
दीनबंधु रै दरस कज,हाल पिया हरद्वार।।१
नावण गंगा नेम सूं,धावण माधव धार।
पावन संतां परसवा,हाल पिया हरिद्वार।।२
गंगा पावन लहर गुण,सबरो करै सुधार।
जबरो तीरथ जोयबा,हाल पिया हरिद्वार।।३ […]
“गुण पंखी प्रबोध” रा रचयिता केशरीसिंह जैतावत आपरी इण पोथी में चारण भक्त कवेसरां री साधना नै सरावता लिखै- रांम रिझायो चारणां, वडा वडा कथ वत्त। पंखियां तणो प्रबोध सुण, केहरि कहै कवत्त।। यूं तो चारणां में घणा ई भक्त कवि होया है पण चवदै भक्त कवियां रो नामोल्लेख घणो मिलै- चौरासी रूपग नरहर चवण, वरणत वाणी जू जुवा। चरण सरण चारण भगत, हरि गायक एता हुवा।। भक्त नरहरदास बारठ रो नाम ज्यूं चावो है उणी गत इणां रै कौटम्बिक सदस्य तेजसी बारठ टेला रो नाम घणो चावो है।रतनू वीरभाण आपरी पोथी “भागोत पुराण में लिखै है – संत कवेसर तेजसी, दूजो नरहरदास। जपियो कल़प […]
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