पोकरपुरी बाबै रो छंद
छंद त्रिभंगी
तज मोह संसारी तूं तपधारी, तपियो भारी ताप तदम
देखै दुखियारी हर दुख हारी, जोर विचारी दया जदम
प्रणमै नर नारी आय अपारी, साद उवांरी तुरत सुणै
अरजी सुण आबा लाज रखाबा, पोकर बाबा भीर बणै १ […]
Charan Community Portal
छंद त्रिभंगी
तज मोह संसारी तूं तपधारी, तपियो भारी ताप तदम
देखै दुखियारी हर दुख हारी, जोर विचारी दया जदम
प्रणमै नर नारी आय अपारी, साद उवांरी तुरत सुणै
अरजी सुण आबा लाज रखाबा, पोकर बाबा भीर बणै १ […]
किसै धर्म री बात करै तूं?
बात- बात में घात करै तूं!
मिनख मारणो बोल बेलीड़ा।
किसै देव री जात करै तूं?
ओ तो किसो लांठापो थारो?
खुद सूं खुद नै मात करै तूं!
सोनै रो संसार उजाड़ै !
पीतल़ ऊपर पात करै तूं? […]
यूं तो हर एक री वाणी आप-आप री ठौड़ महत्तवपूर्ण हुवै पण जिण वाणी री म्है, बात आप तक पुगावणी चावूं वा है चारण री वाणी। जिण वाणी री गूंज नी तो कदैइ दबी अर नीं सहमी। किणी पण परिस्थितियां मे अजाणी नी रैयी। इणी वाणी री विमळता रै पाण अठै रै मानखै मे संस्कार सींचित होयर संचरित होया। इणी वाणी अठै रै नर नाहरां मे साहस रो संचरण, स्वाभिमान रो रक्षण, शौर्य रो अनुकरण, स्वामीभक्ति रो पोखण, साच नै वरण अर स्वधर्म रै सारू मरण रा भाव पनपाया अर ऐ ई भाव अठै रै बांठै बांठै नैपांगराय गहडंबर किया। इणी वाणी सूं बंधिये पाबू परण सूं मरण नै सिरै मानियो। इणी वाणी री प्रखरता सूं महावीर दूदा भाटी री खाटी कीरत अखी है। आ ई वाणी मोटै राजा रै खोटै कामां रै विरोध मे गूंजी जिणरी अनुगूंज अजै कायम है। देशभक्ति रो दीप संजोवणिये राणै प्रताप री प्रभा इणी वाणी रै पाण प्रकाशमान है। आ ई वाणी गोरां रो गीरबो गाळण मे निसंक गूंजी अर अठै रै सूरमां नै उणां री कुचालां सूं बचण अर भूलथाप सूं उबारण सारू चेतण रा चूटिया बोड़ण तक सूं नीं चूकी सो आप विद्वानां तक म्है म्हारी कविता रो एक अंश पूगतो कर रैयो हूं।[…]
» Read moreगीत वेलियो
भगवत ओ नाय रटै घट भोदू, नटका नको चितारै नाम।
पड़सी फंद चौरासी पितलज, कर र्यो कुटल़ बुरोड़ा काम।।१
ठग चाल़ै चोरी मन ठायो, परधन हड़फ करण में प्रीत।
जो तूं करै जमारो जायो, चित राघव ना लायो चीत।।२ […]
गीत वेलियो
ठगपण रै मांय मुलक नै ठगियो
धन कियो भेल़ो हर धूत।
आडो नाय सिल़ी सम आयो
जमड़ां जदै मेलिया जूत।।१
चोरी करण रख्यो घण चेतो
जारी मांय लगायो जीव।
भूल गयो भगवत नै भोदू
नरकां तणी लगाई नीव।।२ […]
बेटै सूं बेटी बती, आगै हुई अमाम।
गुणी लेवै घण गुमर सूं, निरणा ज्यांरा नाम।।१
बेटां वालां इण वसू, हिय पोमै हकनाक।
धर इण उपनी धीवड़ी, नमिया सुरगण नाक।।२
बेटां सूं बेटी बती, समजो सैण सुजाण।
पेखो हिमगर पामियो, महि बेटी सूं माण।।३ […]
।।छंद – त्रिभंगी।।
आयल इल़ आई मामड़याई सातूं बाई सुरराई,
समंदर सुखाई उदर समाई संत सहाई सुखदाई।
पह माड पुजाई थान थपाई दुष्ट दबाई कीध दमै,
बीसांहथ वाल़ी बुड्ढी बाल़ी हेतव वाल़ी भीर हमै।।१।।[…]
गीत-प्रहास साणोर
करो बात नै सार इम धार नै कवियणां,साचरी चारणां कोम संभल़ो।
भूत रे भरोसै रेवसो भरम मे, बगत री मांग रे साथ बदल़ो।।१
पढावो पूत रु धीवड़्यां प्रेम सूं, रीत धर चारणां जदै रैसी।
निडरपण उरां मे बहो मग नीत पर, कोम री कीरती जगत कैसी।।२
सजो इक धार ने संगठन साबता, भूल सूं बुरी मत बात भाल़ो।
समै रै सामनै सजो मजबूत मन, टेम सूं करो मत आंख टाल़ो।।३[…]
।।गीत सोहणो।।
ओ सच की देख जमानो आयो, जो मिनखां तो मून झली।
सून मिल़ी चवड़ै सिटल़ां नै, भू विटल़ां री बात भली।।१
मिनखाचार रखै सो मूरख, गेडछाप अह बजै गुणी।
पितलज जिकै पूजीजै पेखो, सतवाद्यां री काट सुणी।।२
बहुमत हुवो बापड़ो बेखो, बल़ बाहू नै लोग वदै।
बुध बल़ री बात करै बावल़िया, कावल़िया लठ गिणै कदै।।३[…]
।।छंद – रेंणकी।।
परमारां कोम भोम पींपासर, काट पाप निकल़ंक करी।
घणनामी रीझ आय लोहट घर, धर उण पावन देह धरी।
हंसा री गोद रम्यो कर हर हर, भू तर तर विसवास भयो
जगदीसर रूप नमो जग जाहर, जंभेसर गुरु नाम जयो।।१[…]