टेलगिरीजी रा छंद

१९ वें सईके रै पूर्वार्द्ध में टेलगिरीजी महाराज हुया। दसनामी संप्रदाय रै बाबै टेलगिरीजी दासोड़ी में तपस्या करी। बाबै रै केई चमत्कारां री बातां लोक में प्रचलित है। बाबै दासोड़ी गांव में जीवित समाधि लीनी। बाबै रै लोक प्रचलित चमत्कारां माथै एक सांगोपांग किताब लिखी जा सकै। दासोड़ी अर आसै- पासै रै इलाके में बाबै रै प्रति घणी आस्था है। घणै समय पैला म्है एक छंद रचियो। हालांकि ओ छंद प्रकाशित है पण आपरी सेवा में इण खातर मेल रैयो हूं कै टेलगिरीजीै जैड़ै त्यागी अर तपस्वी रै नाम सूं आपरी ओल़खाण हो सकै- […]

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पाबू-प्रभा

।।छंद-त्रिभंगी।।
केसर नखराळी, अस वा काळी, जींद निहाळी, जोराळी।
आयो हठियाळी, बैय उंताळी, मांगी जाळी, मतवाळी।।
मीसण मछराळी, रूठ रढाळी, नहीं संभाळी, गल सारी।
पाबू पणधारी, भू पर भारी, वीरत थारी, बळिहारी।।1
सतवट बातां, धर सारी।।[…]

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रंग रै राजस्थान

छंद – रेंणकी
मन इक रीते परण मरण मन, उवा धरण है देख इया।
मरिया पग रोप राड़ बिच माणस, जीवट उर में राख जिया।
सोभा इण भांत सांभल़ी सुरपत, ऐरावत चढ जात अयो।
सुरधर समराथ अनै मुरधर सतजग पर समवड़ रूप जयो।।१

पेखो इम वीर धर प्रण पाल़ण, सत पख चाढण नीर सदा।
ऊनी हद खीर दहै कर उणमे, जुड़ै भीर ना होय जुदा।
भांजण सो भीड़ अबल़ पख भिड़ियां, पीड़ निजु नह सोच पयो।।
सुरधर समराथ अनै मुरधर सतजग पर समवड़ रूप जयो।।२ […]

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दासोड़ी

राजस्थान सरकार गांव-गांव रो इतिहास लिखावण री सोच रैयी है। आ बात वास्तव में सरावणजोग है। इण दिशा में म्है, कीं छप्पय आपरी निजर कर रैयो हूं। इण छप्पयां रै मांय म्है म्हांरै बडेरां नैं मिलियै गांवां री विगत बतावण री खेचल करी है। परमवीर देवराज भाटी रै प्राणां री रक्षा करणियै द्विजवर वसुदेवायत पुरोहित रै बेडै रतन री संतति चारणां में रतनू बाजै। इणी रतनू वंश परंपरा में म्हांरा बडेरा आसरावजी रतनू (सिरुवो) होया जिकां स्वामीभक्ति री मिसाल कायम करतां थकां राव जगमाल मालावत सूं जैसलमेर री रक्षा करी अर दूदा जसहड़ोत नै जैसलमेर रावल़ बणावण में महताऊ भूमिका […]

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केशरी कीर्ति कळश

गणणाई केहर गिरा, आभ धरा आवाज।
सह कंप्या पापी सिटळ, गोरा सांभळ गाज।।1
तन रो कियो न सोच तिल, मन सूं रह मजबूत।
जन हित में जुपियो जबर, सो धिन किसन सपूत।।2
शासक सह शोसक हुवा, जन रै लगै झफीड़।
तैं समझी उर में तुरत, पराधीन री पीड़।।3
सांप्रत सीख्यो सधरपण, आंक आजादी ऐक।
दोरी लागी देसी री, पराधीनता पेख।।4[…]

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उम्मेदां माजी

उम्मेदां माजी रो पीहर मोटेई(फलोदी)अर दासोड़ी सासरो हो। आप री जात बीठू ही। सांगड़ सूं बीठू आय इण गाव मे बसग्या हा। अठैरे किण ठाकुर इण बीठुवां नै जमी दी ओ ठाह नी है अर नीं ओ ठाह है कै इण बीठुवां रो किण ठाकुर साथै जमी रो विवाद होयो। ओ मोटेई पातावतां री जागीर रो गांव हो। बीठुवां रे किणी खेत नै लेय ठाकुर सूं वाद बढग्यो। ठाकुर रा आदमी आया अर खेत जोत दियो। चारणां घणा ई समझाया पण पार नी पड़ी छेवट बात जमर तक पूगगी। प्रश्न उठियो कै जमर करे कुण? पण जमर री बात किणी […]

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कविवर मुरारदानजी आसिया नोखड़ा

सरल हृदय, सहज सुलभ, सौजन्य मूर्ति, सर्वजन हितेषी, न्याय प्रिय अर संत प्रकृति रा मिनख हा मुरारदानजी आसिया नोखड़ा। नोखड़ा रै जेठूदानजी आसिया रै घरै आपरो जन्म होयो। समाज में व्याप्त रूढियां रा आप घोर विरोधी हा। अन्याय रा आप कदै ई समर्थक नीं रैया। न्याय रै प्रतिबद्धता रो एक दाखलो देणो समीचीन रैसी। आपरै आगै-नैड़ै रिस्तै में एक बूढा अर बेवा माजी हा जिणां रै कोई औलाद नीं ही। आपरै पिताजी जेठूदानजी उणां रै खेत माथै कब्जो कर लियो। आ बात मुरारदानजी सूं सहन नी होई। इणां माजी रै पक्ष में आपरै पिताजी रो ई विरोध कियो अर जेठूदानजी […]

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अपणायत

मिनखां रै रेलै में
तासल़ियै बेलियां रै बिचाल़ै
पाणी !पाणी ! विलकती
मांगती प्राणां री भीख
तूटोड़ै ऊंठ ज्यूं डरती
गैणांग में उडतै गिरजां सूं।
खुरड़ा खोतरती _गिरणती
मदत रै सारू झांफल़ा खावती
हल़फल़ती सी
जाण अजाण बणती […]

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हाथी रै दांतुसल़ां बींध्योड़ै वीर, हाथी रो कुंभस्थल़ चीरियो

राजस्थानी वीरां री वीरत री कीरत यूं ई नीं है। इणां बगत पड़ियां आपरो आपाण बतायो अर जगत में सुजस लियो। किणी कवि सही कैयो है कै “सिर पड़ियां खग सांभणा इण धरती उपजंत।” इणी वीरां री अतोल वीरता रै कारण शक्तिदानजी कविया इणां नै नर रत्न मानतां लिखियो कै मरू प्रांत रै रतनां मे वीर एक अमोल रतन है :- संत सती अर सूरमा सुकवि साहूकार पांच रतन मरू प्रांत सोभा सब संसार।। सगल़ै संसार में इणां रै सुजस री सोरम पसरी थकी। ऐड़ो ई एक सूरमो होयो भाटी जोगीदास। भाटी जोगीदास जिकी वीरता बताई वा आज ई सुणियां वीरां […]

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कलम री कड़पाण वाल़ा

कलम री कड़पाण वाल़ा
तूं सबां सूं साव न्यारो।
मिनख तुंही देख साचो
मिनखपण ही धरम थारो।।
राम सूं अनुराग तोनै
रहीम सूं उर भाव प्यारो।
तूं नहीं हिंदु नहीं मुसल़ो
देख सदियां ओही ढारो।। […]

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