अर्जनदान मूहड़ सनवाड़ा

आदरणीय अर्जुनदानसा मूहड़ सनवाड़ा रो नाम डिंगल़ रे वर्तमान कवियां मे हरोल़ है। आपरी मोकल़ी कवितावां काव्य प्रेमियां रे विचालै चावी है। पंचायण पच्चीसी, वाह वाह विज्ञान, करणीजी रा छंद, पाकिस्तान नै चेतावणी, कश्मीर रो मामलो, वड़लै रो मर्सियो आद रचनावां अर्जुनसा रे बहु पठित अर बहु श्रुत ज्ञान री परिचायक है। डिंगल़ काव्य नै जुगबोध सूं जोड़तां थकां अर्जुनसा समकालीन साहित्य री दौड़ मे डिंगल़ नै समवड़ ऊभी करणियै कवियां मे शुमार है। “वाह वाह विज्ञान” री कीं दूहा आपरी निजर कर रैयो हूं जिण मे कवि विज्ञान रे पेटै आधुनिक विकास नै दरसायो है वाह वाह विज्ञान (अर्जुनदान […]

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सनातनी रिस्तां री रक्षार्थ मरण तेवड़णियो कवि कुशलजी रतनू

महाराजा मानसिह जोधपुर आप री रीझ अर खीझ री समवड़ता रे पाण चावा रैया है । रीझियां सामल़ै नै आपरो काल़जो तक देवण मे ओछी नी तकता तो खीझियां सामल़ै रो कालजो चीलां नै चबावण सूं पैला नैचो नी करता। एकर महाराजा मानसिंह आपरै मर्जीदान बिहारीदास खिची माथै किणी बात कारण अरूठग्या। खिची महाराजा री आदत नै जाणतो सो दरबार रे डर सूं जोधपुर स्थित साथीण री हवेली गयो अर साथीण ठाकुर शक्तिसिंह भाटी सूं शरण मांगी। शक्तिसिंह स्वाभिमानी, अर टणकाई री टेक राखणिया वीर हा। उणां दरबार रे कोप री गिनर नी कर र शरणागत नै अभयदान देतां आपरे अठै […]

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कवि सम्मान सारु आपरै गांव रो तांबा पत्र अडाणै राखणिया रायमल रतनू

कवि रो सम्मान किणी उदार पुरुष खातर कितरो महताऊ होवै आ बात आज रे समय मे समझणी आंझी है क्यूं अबै नी तो दिलां मे उदारता है नी कविता री कूंत। मध्यकाल़ मे रतनू रायमलजी होया। बधाऊड़ा (उण बगत रे जैसलमेर मे) मे रतनू मयारामजी रै शंकरदानजी होया जिणां नै बीकूंकोर रा ठाकुर जैतसी भाटी हरल़ायां गांव दियो। इणां री वंश परंपरा मे महेशदासजी होया जिणां रे अभैरामजी होया। अभैरामजी नै महाराजा अजीतसिंह घोड़ारण (नागौर) दियो। कोई आ ई कैवे कै घोड़ारण महेशदासजी नै मिली। अभैरामजी रै च्यार बेटा हा जिणां मे रायमलजी सबसूं छोटा हा। उणां दिनां लगोलग काल़ पड़ता रैता […]

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कीरत रो धाड़ो कियो !!

“दियां रा देवल़ चढै” री बात भक्त कवि ईशरदासजी सटीक कैयी है। उणां सही ई कैयो है देवणियो अमर है। राजा कर्ण आपरी वीरता सूं बत्तो दातारगी रै कारण जाणियो जावै-

दान के नहर की लहर तो दुरूह देखो,
प्रात की पहर तो ठहरगी रवि जाये की।।

इणी बात री हामी भरतां कविराजा बांकीदासजी कैयो कै आज कठै तो आशो डाभी है अर कठै बाघो कोटड़ियो ? पण उणां रे सुजस री सोरम आज ई अखी है।

कोटड़ियो बाघो कठै, आसो डाभी आज।
गवरीजै जस गीतड़ा, गया भींतड़ा भाज।।[…]

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जूझार मूल सुजस

बीकानेर जिले री कोलायत तहसील रै गांव खेतोलाई रै सालमसिंह भाटी रो बेटो मूल़जी एक वीर क्षत्रिय हो। सं १८६६ री भादवा सुदि १२ रै दिन ओ वीर चोखल़ै री गायां री रक्षार्थ जूझतो थको राठ मुसलमानां रै हाथां वीरगति नै प्राप्त होयो। किवंदती है कै सिर कटियां पछै ओ वीर कबंध जुद्ध लड़ियो। आथूणै राजस्थान रे बीकानेर, जैसलमेर नागौर अर जोधपुर मे इण वीर री पूजा एक लोक देव रे रूप मे होवै।मूल़जी जूझार रे नाम सूं ओ अजरेल आपरी जबरैल वीरता रे पाण अमरता नै वरण करग्यो।जैड़ो कै ओ दूहो चावो है :- मात पिता सुत मेहल़ी बांधव वीसारेह सूरां […]

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दातार बांकजी रतनू सांढां

चेलार (वर्तमान पाकिस्तान) रो एक बांमण ओ प्रण लेर निकल़ियो कै जिको दातार वचन देवैला उणी सूं वो दान ग्रहण करेला। इणी द्रिढ संकल्प रै साथै निकल़ियो वो घणै दातारां कनै गयो पण उणनै वचन देवणियो दातार नी मिलियो। वो मेवाड़, मारवाड़, आमेर, जांगल़ आद स्थानां मे घूमतो घूमतो माड रै केई दातारां कनै फिरियो पण कोई उणनै वचन देवण री हिमत नी कर सकियो। छेवट निरास होय पाछो आपरै गांव जावतो साढां (जैसलमेर) रै रतनू बांकजी रै घरै रुकियो। दिनुगै रवाना होवती वेल़ा बांकजी उणनै दक्षिणा देवणी चाई तो उण आपरे प्रण रे बाबत पूरी बात बतावतै दक्षिणा लेवण सूं नटग्यो। […]

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देशा दशा रो गीत

गीत सोहणो
किण किण मे दोस काढसो कवियां
राज कुवै मे भांग रल़ी
साच कूड़ समभाव आदरै
गुण ओगण री बात गल़ी १
संत्री मंत्री एक सारखा
संविधान नै रैट सही
धज कानून उडावण धरती
वाव आपणै देश बही २ […]

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लोकतंत्र रो ओई लेखो

लोकतंत्र रो ओई लेखो
दीख रही स़ो मत ना देखो
छाती जा दूजां री छेको
समझ आपरी रोटी सेको १
कंवल़ी कंवली बातां कैजै
राम भरोसै मतना रैजै
वाट सुंवोड़ी अब मत बैजै
संकट बंकट हंसतो सैजै २ […]

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ईश आराधना

नखड़ै हिरणाख विडारण नागर सागर मे तजी सैज सजी
पहिल़ाद उबारण कारण पाधर भाल़ सुं आविय नाथ भजी
उण वेल़ धरा अर धूजिय अंबर थंब फटै नरसिंघ थयो
रघुनाथ घणा रँग तो बड राजन साजण देव सुमोख सयो १ […]

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नाग अर मिनख

भूंड रो ठीकरो
क्यूं फोड़ै है मिनख नाग रै माथै
नाग इतरो नुगरो नीं होवै!
जितरो अेै ,बोलण वाळा,बता रैया है
आपरै सुगरापणै रो डूरो बैचण सारू
थांनै तो ठाह है शायद
कै
नाग री राख सकां हां निगै
बच सका हां […]

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