जय जवान, जय किसान ~ सेणीदान देपावत
गीत
एक सीमा पे गयो र, दूजो निपजाण धान।
देश रो जवान, म्हारे देश रो किसान।।
सांचा है सपूत दोनू, मात रे कळेजे कोर।
भाण शशि रे समान, चमकै है चहु ओर।
देश रा रुखाळा दोनूं शूरमा है जबर जोर।।
करण दधीचि जैड़ा दानी है दोनूं महान।
देश रो जवान, म्हारे देश रो किसान।।
छोड़ दिया मांय बाप, छोड़ दियो घरबार।
संग रा साथीड़ा छोड्या, छोड़ दियो भायां रो प्यार।
टाबरां रो हेत छोड्यो, बिलखंती छोडी नार।।
सब सुख छोड़ छाड़, सीमा पे लगायो ध्यान।
देश रो जवान, म्हारे देश रो किसान।।
रवि रे उगाण पैली, खेत मांय पूग्यो जार।
आखे दिन हळ बावै, बैठे नहीं एक बार।
मौठ बाजरो र मक्की, बीजतो जावै जंवार।।
तपता तावड़िया में, उभराणो करै काम।
देश रो किसान म्हारे, देश रो जवान।।
अरियां रे दळ मांय, जब्बर जूझे जूझार।
बीश बीश शीश काटे, एक एक मोटियार।
सिंग ज्यूं दहाड़ उठे, सुणतांई ललकार।।
पाछो पग देवै नंई, देयदो, भले ही जान।
देश रो जवान म्हारे देश रो किसान।।
पत्थरां ने फोड़ फोड़, पाणी ओ बणाय दे।
कैर ने जड़ां सूं काढ, कमल खिलाय दे।
रगत पसीणो सींच, फसल पकाय दे।।
नीर बांध चूर करै, ईंदर रो अभिमान।
देश रो किसान म्हारे देश रो जवान।।
देश आखे री रुखाळी, कर रयो दिन रात।
लोभ नहीं क्षोभ नहीं, लालच कपट घात।
टेम आयां तिरंगे री, शीश देय राखे बात।।
ऐड़ा वीर धीर पे है, देश आखे नै गुमान।
देश रो जवान म्हारे देश रो किसान।।
देश रो भरण पेट, दौड़ रयो दिन रात।
खुद रा टाबरिया तो, भूखा ही बितादे रात।
कितरा ओ दुख सहवै कैवा री या नीं बात।।
धरती रो घासियो र, ओढ सूवै आसमान।
देश रो किसान म्हारे देश रो जवान।।
~~सेणी दान देपावत