करूं नमन कैलाश ने – जी.डी.रामपुरिया कृत

करूं नमन कैलाश ने ,
हाथ जोड हरमेश ।
सरणें राखे शंकरा ,
शिव बिन कांई शेष ।।

सिंवरता सन्मुख रहै ,
जोगी करे न जेज ।
भोलो हर भली करै,
हर दम राखे हेज ।।

तूं भोळो तूं पारखी ,
डमरू वाळो देव ।
तूं त्रिपुरारी तांडवी ,
मतवाळो महादेव ।।

महादेव जोयां मिळे
काशी का कैलाश ।
साचे मन सूं सिंवरता ,
परतख पाओ पास ।।

हर ने सिंवरो हेत सूॅ,
करसी पूरा काम ।
रट रे मनवा रोज ही
नमः शिवा रो नाम ।।

काशी का वासी कहूँ ,
तपसी का भूतेश ।
नीलकंठ नीलोमणी,
आवे नाथ अवेस ।।

शिव आलय में सिंवरता ,
आवे भक्त अथाह ।
लिंग पूजावे लोक में ,
वाह शंकरा वाह ।।

उमा पति अरजी करूं ,
शम्भू तांण सदैव ।
चित में रहजो चारणां ,
मोटे मन महादेव ।।

~~जी.डी.रामपुरिया

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