रघुवरजसप्रकास – किसनाजी आढ़ा

चारण किसनाजी आढ़ा विरचित
रघुवरजसप्रकास
संपादक : डॉ.सीताराम लालस
राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर
वि.सं. २०१७ (ई.सं. १९६०)
विषय – सूची
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क्र.सं. | विषय | पृष्ट | क्र.सं. | विषय | पृष्ट | |
७९ | रोळा | 50 | सरभ | 64 | ||
८० | बथुवा | 50 | सैन | 64 | ||
८१ | काव्य | 50 | मंडूक | 64 | ||
८२ | मात्रा उपछंद वरणण | 51 | मरकट | 65 | ||
८३ | हरि गीत | 51 | करभ | 65 | ||
८४ | रांम गीत | 51 | नर | 65 | ||
८५ | सवैइया | 52 | मराळ | 65 | ||
८६ | मरहट्टा | 52 | मदकळ | 65 | ||
८७ | चतुर पदी तथा रुचिरा | 52 | पयोधर | 66 | ||
८८ | धत्ता | 53 | चळ | 66 | ||
८९ | धत्तानंद | 53 | वांनर | 66 | ||
९० | त्रिभंगी | 53 | त्रिकळ | 66 | ||
९१ | खट सद्रस्य छंद लछण | 53 | मच्छ | 66 | ||
९२ | पदमावती | 54 | कछप | 67 | ||
९३ | दंडकळ | 54 | सादूळ | 67 | ||
९४ | दुमिळा | 54 | अहिबर | 67 | ||
९५ | लीलावती | 55 | बाघ | 67 | ||
९६ | जनहरण | 55 | विडाळ | 68 | ||
९७ | वरवीर | 55 | सुनक | 68 | ||
९८ | झूलणा | 56 | ऊंदर | 68 | ||
९९ | उपझूलणा | 57 | सरप | 68 | ||
१०० | मदन हरा | 57 | चरणा | 69 | ||
१०१ | खंज | 58 | पंचा | 69 | ||
१०२ | गगनागा | 58 | नंदा दूहा तथा बरवै छंद | 69 | ||
१०३ | द्रूपदी | 59 | मोहणी लछण | 69 | ||
१०४ | उद्धत | 59 | चौटियो | 70 | ||
१०५ | माळा | 60 | १०९ | दूहा कौ नांम काढण विध | 70 | |
१०६ | पंचवदन | 61 | ११० | चूळियाळा छंद | 71 | |
१०७ | मात्रा असम चरण छंद वरणण | 61 | १११ | निस्रेणका | 71 | |
१०८ | दोहा | 62 | ११२ | चौबोला | 71 | |
अन्य लछण दूहा | 62 | ११३ | ककुभा | 71 | ||
सांकळियौ दूहौ | 62 | ११४ | सिख | 72 | ||
तूंबेरौ दूहौ | 63 | ११५ | रस उल्लाला | 72 | ||
भ्रमर | 64 | ११६ | रस उल्लाला रा भेद | 72 | ||
भ्रांमर | 64 | ११७ | माहा छंद | 72 |
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Jai Mata ji ki sa
Me dingal bhasha shikhna chati hu. Aap log hamari sahayta karne ki kirpa kare