साँवरा!बाजी खेलो! चोपड़ ढाल़ी!

साँवरा! बाजी खेलो! चोपड़ ढाल़ी!
हारूं तो हरि दासी थोंरी, जीत्यां थें मारा वनमाल़ी!
नटनागर जाजम है ढाल़ी, बैठो आप बिचाल़े।
म्हूँ बैठूं चरणाँ रे नेड़ी, पीव पलांठी वाल़े।।
धवली कबड़ी रख धरणिधर, म्हनै दिरावो म्हारी काल़ी।।१
साँवरा! बाजी खेलो चोपड़ ढाल़ी!
हारूं तो हूं दासी थोंरी, जीत्यां थें मारा वनमाल़ी!
प्हैलो वारो थोंरो ठाकर, फेंको पितम पासा!
हार जीत री पड़ी न हरजी, उर में बस इक आसा!
रसिक रमंता निरख आप ने, देवण चावूं रीझै ताल़ी!!२
साँवरा! बाजी खेलो चोपड़ ढाल़ी!
हारूं तो हरि दासी थोंरी, जित्यां थें मारा वनमाल़ी!
बीजो वारो इण वनिता रो, बाजीगर! बहुनामी!
हरि म्हारा पण थें ज सोगठा, फेंको भरती हामी!
दासी री अरदास इती है, खेलो ठाकर चाल निराल़ी!!३
साँवरा! बाजी खेलो चोपड़ ढाल़ी!
हारूं तो हरि दासी थोंरी, जित्यां थें मारा वनमाल़ी!!
खाविंद थें हो जोर खिलाड़ी, खूब खांत सूं खेलो।
चोपड़, कबड़ा, पासा, करजो, पण अल़गी मत मेलो।।
अरजी उर धरजो गिरधारी, नरपत रे मनडे रे वाल़ी!!४
साँवरा! बाजी खेलो! चोपड़ ढाल़ी!
हारूं तो हरि दासी थोंरी, जित्यां थें मारा वनमाल़ी।