शिव स्तुति – पन्नारामजी मोतीसर जुढिया कृत

प्राचीन राजस्थानी साहित्य संग्रह संस्थान दासोड़ी रै संग्रै सूं।
आज महाशिवरात्री रै पावन अवसर माथै भोल़ै रै भगतां रै पाठार्थ

सोरठो
धाता सुत गुन धाम सकल़ काम समरथ सही।
सयल नंदनी साम पुक्षराज प्रणाम पुनी। ।

छंद नाराच
करूं प्रणाम जोग धाम संग धाम गो सिरं।
भुजंग दाम कंठ ताम रक्त नाम लेररं।
महान थान छै अकाम मुक्ति ग्राम मगलं
नमो शिवाय सोमनाथ मो अनाथ को मिलं।। १

नगन्न अंग सीस गंग धूत रंग धारणी।
अफीम भंग बीज चंग पान रंग पारणी।
मतंग चाल पे विराज साज ध्यान निस्चलं।।
नमो शिवाय सोमनाथ मो अनाथ को मिलं।। २

कृत्याद खंड श्वेत पंड माल गुंड मानसं।
भुजा प्रचंड भारत दंड भूत झुंड में वसं।
त्रिशूल़ डंड तास भास कुंभी नाद कुंडलं।।
नमो शिवाय सोमनाथ मो अनाथ को मिलं।। ३

जटा अजूज आडबंध मूझ प्याल मेखलं।
कपूर गोध आत्मज मयूर स्वान श्री मिलं।
सुची वदन्न प्रेतनी पिसाच सेन ऐनलं।।
नमो शिवाय सोमनाथ मो अनाथ को मिलं।। ४

मुखारविंद सीतचंद हास मंद धारणी।
करे कुरंद भक्त वृंद तोज तंद तारणी।
मुनिद्र चंडु जक्ष कंडु धूह दंडू धामलं।
नमो शिवाय सोमनाथ मो अनाथ को मिलं।। ५

अकाश भास है उजास विप्र भास भांडितं।
सभा हुलास आज दास रोह दास रांडितं।
त्रसंति तास फाल मास जास मेह जामिलं। ।
नमो शिवाय सोमनाथ मो अनाथ को मिलं।। ६

घुरंत ढोल संख बोल झांझ ताल झाझलरं।
टिकोर रोल आरती अमोल माढ चालरं।
पनंग जीत केवलं तिल्लक भाल में भलं।
नमो शिवाय सोमनाथ मो अनाथ को मिलं।। ७

चढंत पूज सोमवार अंक चार आरतं।
मिठान नेस श्री फलं अरक्क फूल मारतं।
सुगंध धूप चाप चूप कीध रूप सांकलं।
नमो शिवाय सोमनाथ मो अनाथ को मिलं।।८

फबै निवास रंभ सिंधु नीर वृंद पे चढै।
मुनीस जक्षु देव नाग चारण यश्श पढै।
वृवंत दान मुक्ति को पना जपै पला पलं।
नमो शिवाय सोमनाथ मो अनाथ को मिलं।। ९

~~पन्नारामजी मोतीसर जुढिया

(संकलन – गिरधरदान रतनू दासोड़ी)

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