बगत
पैला री बातां
गैलै ज्यूं बैलै क्यूं है!
बावल़ा निजरां देख
जागतो सपना देखण री लत विसार दे
बगत थारै साम्हो है-
फगत देखण री तोजी कर
होल़ी धुखती दीखै है
हमझोल्यां रै हिंयै में
प्रीत री जागा
तूं देख तो सरी […]
Charan Community Portal
पैला री बातां
गैलै ज्यूं बैलै क्यूं है!
बावल़ा निजरां देख
जागतो सपना देखण री लत विसार दे
बगत थारै साम्हो है-
फगत देखण री तोजी कर
होल़ी धुखती दीखै है
हमझोल्यां रै हिंयै में
प्रीत री जागा
तूं देख तो सरी […]
हे खेजड़ी !
मरूधर री कल़पतर
मिंमझर रो ओढ पोमचो
मनच्छापूर्ण देवी ज्यूं।
कर सिंणगार
मिंमझर सूं हो लड़ाझूम
मोहती संसार!
नखराल़ी नार ज्यूं
पील़ी हुल़क हो तूं
देती झालो पलै रो […]
हे मातृभाषा!
तूं म्हारी रग -रग में रमगी है
जिण भांत –
म्हारी जामण रो ऊजल़ो दूध
विमल़ बुद्ध देवण वाल़ो
बो न्हाल़ म्हारी
नाड़ी -नाड़ी में
रम्योड़ो
भाल़ हे !बडभागण
तैं में अर म्हारी जामण में […]
धरण रो मत कर चीरहरण
कल़जुग रा दुसासण!
मत मान
दुजोधन रो कैणो
सैणो है तूं
ऐणो क्यूं बणै है?
खिणै क्यूं है खाडो ?
निज हाथां सूं
निज नै ई पटकण ऊंडेरो
सत मत मिटा […]
ओल़भो!
कीकर देवांला ?
देवांला किणनै ओल़भो?
पाव री ठौड़ !
पंसेरी रो घाव!
कर रैया हो डाव ऊपर डाव
साव साचाणी
बल़ियोड़ै मूंडै
कीकर देवांला फूंक
अपरोगा लाग रैया है […]
तल़तल़ीज्या तल़तल़ाटै सूं
हल़फल़िया
डरिया -घिरिया
आकल़ -बाकल़ होय
थकतां -थकतां ई
तकतां -तकतां ई
जोय लियो एक आसरो!
गांव रै गवाड़ में
घेर घुमेर ऊभा
आभै सूं बंतल़ करता […]
मिनखां रै रेलै में
तासल़ियै बेलियां रै बिचाल़ै
पाणी !पाणी ! विलकती
मांगती प्राणां री भीख
तूटोड़ै ऊंठ ज्यूं डरती
गैणांग में उडतै गिरजां सूं।
खुरड़ा खोतरती _गिरणती
मदत रै सारू झांफल़ा खावती
हल़फल़ती सी
जाण अजाण बणती […]
भूंड रो ठीकरो
क्यूं फोड़ै है मिनख नाग रै माथै
नाग इतरो नुगरो नीं होवै!
जितरो अेै ,बोलण वाळा,बता रैया है
आपरै सुगरापणै रो डूरो बैचण सारू
थांनै तो ठाह है शायद
कै
नाग री राख सकां हां निगै
बच सका हां […]
अड़ो धड़ो
घड़ो भूंड रो बहू रै सिर पड़ो
आ बात कूड़ी नी है
जद जद ही फूटो है
भूंड रो ठीकरो अबल़ावां रै माथै ई छूटो है
तूटो है अबखायां रो भाखर
दल़िज्या है मूंग छाती माथै
उडिया है चरित्र रा चींथड़ा
तो इणा मे ई निकल़ी है […]
मत रोक कलम नै बैवण दे
तूं लुका छिपी नै रैवण दे
छंट ज्यावै बादल़ नफरत रा
अंतस नै साची कैवण दे
बह ज्यावै दरद कल़जै रो
अर होवै प्रीत री जीत
लिख आज कवि इसड़ो गीत १
फैल रयो मन घोर अंधारो
सूझै नहीं सबल़ कोई सा’रो […]