चारण हूँ मैं – पद्मश्री सूर्यदेव सिंह बारहट

मैं समुद्र की लहर, चंद्र की ज्योति,
पुष्प की गन्ध, अथक विश्वास
समय दर्पण हूँ मैं ||
चारण हूँ मैं ||
इतिहासों ने पढ़ा,
रसों ने जिसको गाया
तलवारों की छौहों ने,
जिसको दुलराया,
वही कलम का धनी,
ज्ञान का कारण हूँ मैं||
चारण हूँ मैं|| […]