दो आखर – ठा. नाहरसिंह जसोल

ठा. नाहरसिंह जसोल द्वारा लिखित पुस्तक “चारणों री बातां” की भूमिका “दो आखर” चारणों सारूं आदरमांन, श्रद्धा, अटूट विश्वास रजपूत रै खून में है। जुगां जुगां सूं चारणों अर रजपूतां रै गाढ़ा काळलाई सनातन संबन्ध रया है। आंपणों इतिहास, आंपणी परम्परावां, रीत-रिवाज, डिंगल साहित्य अर जूनी ऊजळी मरजादां, इण बात रा साक्षी है। केतांन बरसां तक ओ सनातनी सम्बन्ध कायम रयौ। न्यारौईज ठरकौ हौ। पण धीरे धीरे समय पालटो खायौ अर उण सनातनी संबन्धों में कमी आण लागी। ऐक दूजा रै अठै आण-जाण कम व्हे गयो, अपणास में कमी अर खटास आय गई, ओळखांण निपट मिट गई। इण सब बातां […]

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उम्मेदां माजी

उम्मेदां माजी रो पीहर मोटेई(फलोदी)अर दासोड़ी सासरो हो। आप री जात बीठू ही। सांगड़ सूं बीठू आय इण गाव मे बसग्या हा। अठैरे किण ठाकुर इण बीठुवां नै जमी दी ओ ठाह नी है अर नीं ओ ठाह है कै इण बीठुवां रो किण ठाकुर साथै जमी रो विवाद होयो। ओ मोटेई पातावतां री जागीर रो गांव हो। बीठुवां रे किणी खेत नै लेय ठाकुर सूं वाद बढग्यो। ठाकुर रा आदमी आया अर खेत जोत दियो। चारणां घणा ई समझाया पण पार नी पड़ी छेवट बात जमर तक पूगगी। प्रश्न उठियो कै जमर करे कुण? पण जमर री बात किणी […]

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सनातनी रिस्तां री रक्षार्थ मरण तेवड़णियो कवि कुशलजी रतनू

महाराजा मानसिह जोधपुर आप री रीझ अर खीझ री समवड़ता रे पाण चावा रैया है । रीझियां सामल़ै नै आपरो काल़जो तक देवण मे ओछी नी तकता तो खीझियां सामल़ै रो कालजो चीलां नै चबावण सूं पैला नैचो नी करता। एकर महाराजा मानसिंह आपरै मर्जीदान बिहारीदास खिची माथै किणी बात कारण अरूठग्या। खिची महाराजा री आदत नै जाणतो सो दरबार रे डर सूं जोधपुर स्थित साथीण री हवेली गयो अर साथीण ठाकुर शक्तिसिंह भाटी सूं शरण मांगी। शक्तिसिंह स्वाभिमानी, अर टणकाई री टेक राखणिया वीर हा। उणां दरबार रे कोप री गिनर नी कर र शरणागत नै अभयदान देतां आपरे अठै […]

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कवि सम्मान सारु आपरै गांव रो तांबा पत्र अडाणै राखणिया रायमल रतनू

कवि रो सम्मान किणी उदार पुरुष खातर कितरो महताऊ होवै आ बात आज रे समय मे समझणी आंझी है क्यूं अबै नी तो दिलां मे उदारता है नी कविता री कूंत। मध्यकाल़ मे रतनू रायमलजी होया। बधाऊड़ा (उण बगत रे जैसलमेर मे) मे रतनू मयारामजी रै शंकरदानजी होया जिणां नै बीकूंकोर रा ठाकुर जैतसी भाटी हरल़ायां गांव दियो। इणां री वंश परंपरा मे महेशदासजी होया जिणां रे अभैरामजी होया। अभैरामजी नै महाराजा अजीतसिंह घोड़ारण (नागौर) दियो। कोई आ ई कैवे कै घोड़ारण महेशदासजी नै मिली। अभैरामजी रै च्यार बेटा हा जिणां मे रायमलजी सबसूं छोटा हा। उणां दिनां लगोलग काल़ पड़ता रैता […]

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कीरत रो धाड़ो कियो !!

“दियां रा देवल़ चढै” री बात भक्त कवि ईशरदासजी सटीक कैयी है। उणां सही ई कैयो है देवणियो अमर है। राजा कर्ण आपरी वीरता सूं बत्तो दातारगी रै कारण जाणियो जावै-

दान के नहर की लहर तो दुरूह देखो,
प्रात की पहर तो ठहरगी रवि जाये की।।

इणी बात री हामी भरतां कविराजा बांकीदासजी कैयो कै आज कठै तो आशो डाभी है अर कठै बाघो कोटड़ियो ? पण उणां रे सुजस री सोरम आज ई अखी है।

कोटड़ियो बाघो कठै, आसो डाभी आज।
गवरीजै जस गीतड़ा, गया भींतड़ा भाज।।[…]

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दातार बांकजी रतनू सांढां

चेलार (वर्तमान पाकिस्तान) रो एक बांमण ओ प्रण लेर निकल़ियो कै जिको दातार वचन देवैला उणी सूं वो दान ग्रहण करेला। इणी द्रिढ संकल्प रै साथै निकल़ियो वो घणै दातारां कनै गयो पण उणनै वचन देवणियो दातार नी मिलियो। वो मेवाड़, मारवाड़, आमेर, जांगल़ आद स्थानां मे घूमतो घूमतो माड रै केई दातारां कनै फिरियो पण कोई उणनै वचन देवण री हिमत नी कर सकियो। छेवट निरास होय पाछो आपरै गांव जावतो साढां (जैसलमेर) रै रतनू बांकजी रै घरै रुकियो। दिनुगै रवाना होवती वेल़ा बांकजी उणनै दक्षिणा देवणी चाई तो उण आपरे प्रण रे बाबत पूरी बात बतावतै दक्षिणा लेवण सूं नटग्यो। […]

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जूझार हणूंवंतसिंह रोहड़िया सींथल़ रो सुजस

सीयां हमीरां सांगड़ां, मिल़ियै जाझै मांम
सांसण सीथल़ है सिरै, वीसासौ विसराम

महाकवि दुरसाजी आढा रो ओ दूहो सींथल़ री सांस्कृतिक विरासत, स्वाभिमान साहस अर टणकाई री टेक राखण री अखी आखड़ी रो साखिधर है। सींथल रा संस्थापक सांगड़जी रो पाटवी सपूत मूल़राज। मूलराज करनीजी रा अन्नय भक्त। करनीजी खुद सींथल़ पधारिया जद मूल़राजजीनै खुद आपरै हाथां सू जागा बताय कैयो कै आगै सूं अठै देवी री पूजा करजै आज उणी जागा करनीजी रो भव्य मंदिर है। इणी मूलराजजी री वंशज सींथल़ मे मूल़ा बाजै। मूल़राजजी री वंश परंमपरा मे पदमसिंह हुया अर इणां रै घरै हणुंवतसिंह रो जनम होयो। उण दिनां बीकानेर माथै महाराजा रतनसिह रो शासन हो, उणां रो एक मुलाजिम रिड़मलसर रो सिपाही मुसलमान हो। वो एक वार आपरी टुकड़ी साथै सींथल़ रुकियो। […]

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धिन चंदू राखी धरा-1

भगवती चंदू रो जनम माड़वा (पोकरण) रै संढायच उदैजी दलावत रै घर मा अणंदू मिकस री कूख सूं उनीसवै शताब्दी रै पूर्वाद मे हुयो। अणंदूबाई ई गुडी रै पोकरणां रै अत्याचारां रै खिलाफ जंवर कर चारणां रै स्वाभिमा नै अखी राखियो।  देवी चंदू रो ब्याव दासोड़ी रै रतनू रतनजी सूरदासोत रै साथै हुयो। उण दिनां पोकरण माथै सालमसिंह चांपावत रो अधिकार हो, सालमसिंह चांपावत, चांपावतां री ऊजल़ी परंमपरा रो निर्वाह नीं कर सक्यो, उण आप रै सलाहकारां री उल्टी सीख मानर माड़वा री कदीमी सीम नै उथाल़ण अर अखैसर ताल़ाब नै कब्जे मे करण सारू माड़वै रै अखैसर ताल़ाब तक आपरी सेना […]

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कवि श्रेष्ठ केशरोजी खिड़िया

स्वामी भक्ति, देश भक्ति व संस्कृति रा सबल़ रुखाल़ा कविवर चानणजी खिड़िया चारण गौरव पुरुष अर जाति रत्न रै रूप मे जग चावा रैया है। जद चित्तौड़ रै किले मे सिसोदियां धोखै सूं वीर पुरुष राव रिड़मल (मंडोर )नै मार र आ घोषणा कराय दी कै कोई आदमी रिड़मल रो दाह संस्कार नी करेला। उण बगत चानणजी चित्तौड़ रै कानी मिली जागीर कपासण मे रैवता। उणां नै आ ठाह लागी कै राव रिड़मल रै साथै विश्वासघात होयग्यो अर अबै उणरी देह री दुरगत होय रैयी है तो वै उठै आया अर रिड़मल री चिता बणाय दाग दियो। कैयो जावै कै […]

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ऐसा छोड़ने वाला नहीं मिलेगा

महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण जितने महान कवि थे उतना ही तेज उनका मिजाज था, झट से बिगड़ जाता था। राजकुमार भीमसिंह की बारात में बांसवाडा गए वहां बूंदी के आमात्य बोहरा रतनलाल की किसी बात पर नाराज़ हो गए और तुरंत वहां से प्रस्थान  का मन बनाया। राजा रामसिंह ने मना किया मगर रूठ कर रवाना हो गए। जब रास्ते में रतलाम के राजा बलवंत सिंह ने यह सुना कि सूर्यमल्ल लौट रहे हैं तो उन्होंने पांच मील की दूरी तक सामने आकर महाकवि की अगुवाई की। मीसण को पुरी मान मनोव्वल के साथ राजा रतलाम लाये और बड़े सत्कारपूर्वक अपने […]

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