दो आखर – ठा. नाहरसिंह जसोल
ठा. नाहरसिंह जसोल द्वारा लिखित पुस्तक “चारणों री बातां” की भूमिका “दो आखर” चारणों सारूं आदरमांन, श्रद्धा, अटूट विश्वास रजपूत रै खून में है। जुगां जुगां सूं चारणों अर रजपूतां रै गाढ़ा काळलाई सनातन संबन्ध रया है। आंपणों इतिहास, आंपणी परम्परावां, रीत-रिवाज, डिंगल साहित्य अर जूनी ऊजळी मरजादां, इण बात रा साक्षी है। केतांन बरसां तक ओ सनातनी सम्बन्ध कायम रयौ। न्यारौईज ठरकौ हौ। पण धीरे धीरे समय पालटो खायौ अर उण सनातनी संबन्धों में कमी आण लागी। ऐक दूजा रै अठै आण-जाण कम व्हे गयो, अपणास में कमी अर खटास आय गई, ओळखांण निपट मिट गई। इण सब बातां […]
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