जगजामी जगदीश जयो

वराह अवतार धार इल़ रदनं, वार सुरां हरसार बणै।
वसुधर तण भार उतारण, विठ्ठल़ हाथ धार हिरणाख हणै।।
जय जय सुर जाप जपै जगतारण, भू भय हारण तुंही भयो।
नामी नवखेल रचै घणनामी, जगजामी जगदीश जयो।।
जयो जगतारण जगन्नाथ जयो।।३

» Read more

छंद शेखर श्री रासाष्टक रेणकी छंद

🌸छंद रेणंकी🌸
सर सर पर सधर अनर तर अनुसर,कर कर वर घर मेल करे|
हरि हर सुर अवर अछर अति मनहर,भर भर अति उर हरख भरे|
निरखत नर प्रवर प्रवर गण निरजर,निकट मुकुट सिर सवर नमें|
घण रव पट फरर फरर पद घुंघर, रंग भर सुंदर श्याम रमें| १

झणणणण झणण खणण पद झांझर,गोम धणण गणणण गयणे|
तणणण बज तंत ठणण टंकारव,रणणण सुर धणणण रयणे|
त्रह त्रह अति त्रणण घणण अति त्रांसा,भ्रमण भमरवत रमण भमें|
घण रव पट फरर फरर पद घुंघर, रंग भर सुंदर श्याम रमें| २ […]

» Read more

🌹सूर्यनारायण स्तुति🌹-कविराज नवलदानजी आसिया (खांण)

🌹छंद रेणंकी🌹
नित नित नवलेश शेश कर समरन, जुग अशेश कर क्लेश जरे|
सुमिरत अमरेश शेश पुनि शारद, ध्यांन धनेश गणेश धरे|
विलसत दश देश बेस बल व्यापक, प्रगट विग्यान अग्यान परे|
दिनकर कर निकर उदयगिरि ऊपर, होय उदयकर तिमिर हरे||१ […]

» Read more

घर बेटी बिन जेम गिणो

।।छंद रैंणकी।।
सरवर बिन नीर मांम बिन सायर,
दान बिनां दातार दखां।
भूपत बिन राज काज बिन भलपण,
अंतस बिन अपणास अखां।
धेनूं बिन दूध बिनां धन धणियां,
मांण बिनां मेहमांण मुणो।
गिरधर कवियांण सुणी कथ गहरी
घर बेटी बिन जेम गिणो।।१[…]

» Read more

सोनल स्तवन – अजय दान जी लखाजी रोहडिया

🌺छंद -रेणकी🌺
चारण प्रिय पर्म धर्म जब तज कर, करन कर्म प्रतिकूल लगे।
कारण इन कु-मन सुमन भय दिन दिन,दया दान सब दूर भगे।
मारन मद मोह ताहि मय तन्मय, यह लख नवलख चिंत्य करम।
करनल दुःख दूर करन सोय दारूण, धर पर सोनल रूप धरम्॥1

निरमल मति अंग गंग सम उज्जवल ,वचन वारि अघ ओघ दलम।
निश्छल जिहि कान पान कर खल दल, काल व्याल तें तुरत टलम।
अविचल गति गहन सरल चित अविरल,हरि हर जो गुणगान करम।
करनल दुःख दूर करन सोय दारूण, धर पर सोनल रूप धरम्॥2[…]

» Read more

गोगा गुणमाळा

।।छंद रेंणकी।।
आयो दळ उरड़ गजन रो इळ पर, मुरड़ दूठ हिंदवाण मही।
जबरा जोधार राखिया झुरड़ै, सबळ कितां नै दुरड़ सही।
कितरां नै मुरड़ खायग्यो किलमो, चुरड़ पीयग्यो रगत चठै
भारत रो रिछक गोग भड़ भिड़ियो, जंग छिड़ियो जिणवार जठै।।1[…]

» Read more

जंभेसर जस

।।छंद – रेंणकी।।
परमारां कोम भोम पींपासर, काट पाप निकल़ंक करी।
घणनामी रीझ आय लोहट घर, धर उण पावन देह धरी।
हंसा री गोद रम्यो कर हर हर, भू तर तर विसवास भयो
जगदीसर रूप नमो जग जाहर, जंभेसर गुरु नाम जयो।।१[…]

» Read more

रंग रै राजस्थान

छंद – रेंणकी
मन इक रीते परण मरण मन, उवा धरण है देख इया।
मरिया पग रोप राड़ बिच माणस, जीवट उर में राख जिया।
सोभा इण भांत सांभल़ी सुरपत, ऐरावत चढ जात अयो।
सुरधर समराथ अनै मुरधर सतजग पर समवड़ रूप जयो।।१

पेखो इम वीर धर प्रण पाल़ण, सत पख चाढण नीर सदा।
ऊनी हद खीर दहै कर उणमे, जुड़ै भीर ना होय जुदा।
भांजण सो भीड़ अबल़ पख भिड़ियां, पीड़ निजु नह सोच पयो।।
सुरधर समराथ अनै मुरधर सतजग पर समवड़ रूप जयो।।२ […]

» Read more

रिषिवर धर रूप अनुपम तरुवर

🌺छंद रेणकी🌺
आतप मँह छाय करे जन जन औ, रुत पावस सिर त्राण करे।
शुभ पवन सुबांटत शीतल सुंदर, विहग सदा जिण पर विहरे।
दिल सूं उपकार करे वह हरदम, जिणरो सभी बखाण करे।
रिषिवर धर रूप अनूपम तरुवर, कायम जग कल्याण करे॥1

तीरथ सरवर वळ ताल नदी तट, वट गुलर अस्वत्थ वळे।
बिच ओरण केर बोर बण ओपत, जंगळ गिर पर जोत जळे।
करता बहु नीड विहग घण कलरव, इसडो कुण उपकार करै।
रिषिवर धर रूप अनूपम तरूवर,कायम जग कल्याण करे॥2 […]

» Read more
1 2 3