सांझ रूप माता स्वयं
लखी ललित शुभ लालिमा, अरुणिम अंबर आ ज।
सांझ रूप माता स्वयं, मेहाई महराज।।३९२
देशाणा मढ मांय नें, सरस पडी है सांझ।
आवड ने अरदा, मेहाई महराज।।३९३
रात प्रात री ब्हैनडी, वय संधिन् वळ सांझ।
चहूदिश चमकै चांदणी, मेहाई महराज।।३९४
पंछी पाछा आविया, वळिया माळा मांझ।
रात रूप रिधु मां नमूं, मेहाई महराज।।३९५[…]