मत जावो परदेस

आवो तो जावो मती, नैणां रहौ नजीक।
गरथ गांठ जिम बांध लूं, बिछुडण री नह बीक॥1
जावण ! री जचती नहीं, मनभावण मनमीत।
सावण में दामण सदा, सँग घन रहै नचीत॥2
जावौ दूर दिसावरां, ठाकर बात न ठीक।
चाकर री चिंता करो, आछी नहीं उडीक॥3 […]
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आवो तो जावो मती, नैणां रहौ नजीक।
गरथ गांठ जिम बांध लूं, बिछुडण री नह बीक॥1
जावण ! री जचती नहीं, मनभावण मनमीत।
सावण में दामण सदा, सँग घन रहै नचीत॥2
जावौ दूर दिसावरां, ठाकर बात न ठीक।
चाकर री चिंता करो, आछी नहीं उडीक॥3 […]
ह्रदय- कोटडी हे सखी!, जाजम नेह जमाव।
आखां तणा अफीम रो, हाकौ करै बुलाव॥1
नैणां तणा खरल्ल में, सैण नेह रस घूंट।
पछै अमल पा प्रेम सूं, लेय काळजौ लूंट॥2
करै पलक री गाळणी, खरल नेह रस घोळ।
अमल पिवाडो आंख सूं, पीतम थें मन -पोळ॥3 […]
क्रां काळी मां काळिका, गळ नर मुंडां माळ।
बाळक नें मत बीसरै, रहजै थूं रखवाळ॥1
काळी खपराळी कथी, खेंगाळी खळ खाण।
क्रां क्रीं क्रूं बीजाक्षरी, माता बसै मसाण॥2
क्रां काळी विकराळ मुख, खळां खपावण वाळ।
लप लप लपकारा करै, जीभ अगन री ज्वाळ॥3 […]
दीपक! तौ दुशमन तिमिर, छुपियौ थारे हेठ।
कह कीकर करसी सखा, उणरो थूं आखेट॥1
देखै अंधड दीवला, मत पडजै थूं मंद।
तम हर नित तव तेज सूं, अर जग दे आणंद॥2
रे दीपक री दीकरी, जळ हळ जळ हळ जोत।
थारी ऊजळ किरण सूं, चारु चांदणौ होत॥3 […]
सुरमे ज्यूं रखजै सखी, आंख्या माँही आँज।
पछै पलक कर बंद अर, रख घुंघट पट मांझ॥1
नैण कोटडी मौ छुपा, द्वार पलक कर बंद।
अवगुण्ठन ताळां जडै, कूंची फैक समंद॥2
केस रैण जिम काजळी, तारक जिम बनफूल।
आनन शशि अनूप लख, जाऊं सुधबुध भूल॥3 […]
छंद बंद को छोड कर, मन के अंतरद्वंद।
लिखते हो कितने सरल, सुंदर काव्य निबंध॥1
लिए सहज कर तूलिका, और मिलाकर रंग।
मन माफिक चित्रित सरस, करते भाव प्रसंग॥2
कविता कलकल आपकी, लय की लिए न लीक।
भावों से चित को हरै, सुन्दर, सरस, सटीक॥3 […]
दुआ मुझे तुमने छुआ, हुआ तभी खुशहाल।
वरना नरपत का सखी, बहुत बुरा था हाल॥1
दुआ आप मुझको मिली, खिली तभी मन डाल।
पंछी फिर आने लगै, इस सुखै मरु- ताल॥2
दुआ दुःखी मन की दवा, दुआ हरे सब पीर ।
दुआ काज सब भटकते, खोजत संत फकीर॥3 […]
हमको आजादी मिली, और बँट गया देश।
अब नेता बन आ गयै, नन्है बडै नरेश॥1
पहले पाकिस्तान को, बांट गयै अंग्रेज।
अब हमनें बांटा उसै,जाति पांती सहेज॥2
जाति धर्म प्रदेश से, राजै बनते रोज।
नेता कोलंबस हुए, औ सत्ता की खोज॥3 […]
🌺दुहा सोरठा गीत री🌺
कदे शबद रा फूलडां, कदै भाव नाळेर।
धरतौ हुं मारै धकै, जैडी म्हौ मन लेर॥1
आखौ हुं अरपूं कदै, कदै वधेरुं फोड।
हरपळ मां स्वीकारती, करै घणौ मन कोड॥2
पांच सात इगयार कर , भेळा घण नाळेर।
लीलौ तोरण मढ धकै, अरपूं मां ने फेर॥3 […]
मदिरा प्हैली धार री, डिंगळ री डणकार।
जाजम जमगी जोर री, आवौ सब सिरदार॥1
हुं मां रो, मां माहरी, किण रे उण सूं काह।
मन मांनै वा पुरस दूं, बिनां किया परवाह॥2
करुं शबद रा खाजरू, भाव तणी दूं धार।
पीवै माता प्रेमसूं, सदा करै स्वीकार॥3 […]