कविराज दुरसा आढ़ा

मारवाड़ राज्य के धुंधल गांव के एक सीरवी किसान के खेत में एक बालश्रमिक फसल में सिंचाई कर रहा था पर उस बालक से सिंचाई में प्रयुक्त हो रही रेत की कच्ची नाली टूटने से नाली के दोनों और फैला पानी रुक नहीं पाया तब किसान ने उस बाल श्रमिक पर क्रोधित होकर क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए उसे टूटी नाली में लिटा दिया और उस पर मिट्टी डालकर पानी का फैलाव रोक अपनी फसल की सिंचाई करने लगा। उसी वक्त उस क्षेत्र के बगड़ी नामक ठिकाने के सामंत ठाकुर प्रतापसिंह आखेट खेलते हुए अपने घोड़ों को पानी […]

» Read more

कविराज नाथूसिंह महियारिया

ठाकुर केसरी सिंह महियारिया के इकलौते पुत्र कविवर नाथूसिंह महियारिया किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। आप उदयपुर (मेवाड़) दरबार में राजकवि थे। बचपन में ये हमेशा अपने साथ एक पेंसिल तथा कागज रखते थे ताकि किसी भी समय अपने मन में उमड़ी बात को दोहों अथवा कविता के रूप में लिख सकें। नाथूसिंह जी का विवाह आसियानी जी से हुआ था। कविराज अपनी वाक् पटुता तथा साहस के लिए विख्यात थे। देश की आज़ादी के पश्चात चुनाव के समय की एक घटना है, कविराज नाथूसिंह जी अपना वोट देने के लिए वोटिंग बूथ में जा रहे थे और उसी समय […]

» Read more

भक्त कवि ईसरदास

संवत पन्नर पनरमें, जनम्या ईशर दास चारण वरण चकोर में, उण दिन भयो उजास।। सर भुव सर शशि बीज भ्रगु, श्रावण सित पख वार। समय प्रात सूरा घरे ईशर भो अवतार।। भक्त कवि ईसरदास की मान्यता राजस्थान एवं गुजरात में एक महान संत के रूप में रही है | संत महात्मा कवि ईसरदास का जन्म बाडमेर राजस्थान के भादरेस गाँव में वि. सं. 1515 में हुआ था। पिता सुराजी रोहड़िया शाखा के चारण थे एवं भगवान् श्री कृष्णके परम उपासक थे। जन मानस में भक्त कवि ईसरदास का नाम बडी श्रद्घा और आस्था से लिया जाता है। इनके जन्मस्थल भादरेस में भव्य […]

» Read more

महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण

राजस्थान के महान कवि सूर्यमल्ल मिश्रण (मीसण) का जन्म बूंदी जिले के हरणा गाँव में 19 अक्टोबर 1815 तदनुसार कार्तिक कृष्ण प्रथम वि. स. १८७२ को हुआ था। उनके पिता का नाम चण्डीदान तथा माता का नाम भवानी बाई था। वे बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि एवं असाधारण स्मरण शक्ति से संपन्न थे। इस महान कवि ने बाल्यकाल से ही कई विद्याओं का गहन ज्ञान प्राप्त कर लिया। उन्होंने स्वामी स्वरूपदास से योग, वेदान्त, न्याय, वैशेषिक साहित्य आदि की शिक्षा प्राप्त की। आशानन्द से उन्होंने व्याकरण, छंदशास्त्र, काव्य, ज्योतिष, अश्ववैधक, चाणक्य शास्त्र आदि की शिक्षा प्राप्त की तथा मुहम्मद से फ़ारसी एवं एक अन्य यवन से उन्होंने वीणा-वादन सीखा।[…]

» Read more
1 2