होळी रा रंग

होळी में झोळी भरै, रंगों री अणपार|
सह टोळी फागण सखी,आयौ आपण द्वार||१
साजण तन भल रंग मत ,पण मन रँग दे जोर|
तन रंग मिटसी झीलतां,मन रँग मेटण दोर||२
मन चुनरी मन भावणी,तन री रेशम कोर|
पिचकारी भर प्रेम री,ढोळो मत चितचोर||३ […]

» Read more

मांझल रात अमोल-वैतालिक

सौ कोसां साजन बसे, पूगावै उण पोळ।

सुपना वाळ सुहामणी, मांझल रात अमोल॥1

बालम तौ जालम घणौ, करतौ टाळम टौळ।

(पण) सुपने सजण मिलावती, मांझल रात अमोल॥2

इक चंदौ आकाश में, दूजौ रंग रे म्हौल।

झिल मिल झिल मिल जोसना, मांझल रात अमोल॥3 […]

» Read more

केसरिया बालम कहूं

केसरिया बालम कहूं, गाढा माढां राग।
आवो घर अलबेलडा, उपजावण अनुराग॥1

केसरिया बालम कहूं, जळूं बिरह री झाळ।
आव अषाढी मेह जिम, (तो) भींजूं इण बरसाळ॥2

केसरिया बालम कहूं,नेह निभाज्यो नाह।
आय मिळो म्हाने अठे,गाढ भरण गळबांह॥3

केसरिया बालम कहूं,गाढ गुलाबी रंग।
इण तन चंदण रूंखडै,लिपट्या विरह भुजंग॥4[…]

» Read more

मननें तुझको पा लिया

🌺मननें तुझको पा लिया🌺

जब तू धावा बोलती, पलकों की जागीर।
तब तब मैंने थामली, हाथ-कलम-शमसीर॥1

जब तू मुझ पर पीर का, डाले सखी अबीर।
तब मन बनता राधिका,-कान्हा ,रांझा -हीर॥2

जब तू मुझपर नेह की,करे सखी बौछार।
तब उर गोमुख से बही,कल-कल कविता-धार॥3 […]

» Read more

नैण

नैणा री मद धार वै, तौ प्याला बेकार।
नशौ प्रेम रो सब सिरै, सजण परूसण-हार।।1

नैणा री मनुहार नें, सैण करौ स्वीकार।
जैण नसो होसी जबर, रैण तणै अंधार।।2

नैणा घी री धार कर, पिया! लापसी-प्यार।
राज परोसूं आप कज, जिमौ  बारंबार।।3[…]

» Read more

मत जावो परदेस

आवो तो जावो मती, नैणां रहौ नजीक।
गरथ गांठ जिम बांध लूं, बिछुडण री नह बीक॥1
जावण ! री जचती नहीं, मनभावण मनमीत।
सावण में दामण सदा, सँग घन रहै नचीत॥2
जावौ दूर दिसावरां, ठाकर बात न ठीक।
चाकर री चिंता करो, आछी नहीं उडीक॥3 […]

» Read more

आख्यां रा अमल रो हाको

ह्रदय- कोटडी हे सखी!, जाजम नेह जमाव।
आखां तणा अफीम रो, हाकौ करै बुलाव॥1
नैणां तणा खरल्ल में, सैण नेह रस घूंट।
पछै अमल पा प्रेम सूं, लेय काळजौ लूंट॥2
करै पलक री गाळणी, खरल नेह रस घोळ।
अमल पिवाडो आंख सूं, पीतम थें मन -पोळ॥3 […]

» Read more

कूंची फैंक समंद

सुरमे ज्यूं रखजै सखी, आंख्या माँही आँज।
पछै पलक कर बंद अर, रख घुंघट पट मांझ॥1

नैण कोटडी मौ छुपा, द्वार पलक कर बंद।
अवगुण्ठन ताळां जडै, कूंची फैक समंद॥2

केस रैण जिम काजळी, तारक जिम बनफूल।
आनन शशि अनूप लख, जाऊं सुधबुध भूल॥3 […]

» Read more

साजन अर सजनी

मन रो नाच्यौ मोरियौ, धण रो किण रे काज।
बात मने औ बावडौ, कविता में कविराज॥
सुंदरता री पुतळी, अर उपर है लाज।
गजब नाचती गोरडी, घूमर रे अंदाज॥
नखराळी ए नारीयां, दे ताळी नाचैह।
घूंघट वाळी कामणी, मतवाळी सांचैह।
साजण सुपने आविया, कह्यौ आवसूं आज।
इण कारण धण नाचती, गीत रसीलै राज॥ […]

» Read more
1 2 3