राजस्थानी रो पैलो जनकवि रंगरेलो वीठू

राजस्थानी डिंगल़ काव्य धारा रो इतियास पढां तो आपांरै सामी मध्यकाल़ रै एक कवि रो नाम प्रमुख रूप सूं ऊभर र आवै बो है रंगरेला वीठू रो। रंगरेला वीठू री कोई खास ओल़खाण इतियास ग्रंथां में देखण नैं नीं मिल़ै। रंगरेला रो जनम सतरवैं सईकै में जैसल़मेर रै सांगड़ गांम में होयो। कवि रो मूल़ नाम वीरदास वीठू हो। काव्य रा कणूका कवि में परंपरी सूं ई हा। कवि री रचनावां घणकरीक कुजोग सूं काल़ कल़वित होयगी पण जिकी रचनावां लोक रसना माथै अवस्थित रैयी, उणनैं पढियां वीरदास रो जनवादी कवि सरूप आपांरै सामी आवै। जिण बगत सत्ता सूं शंकतै […]
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