दुव सेन उदग्गन – वंश भास्कर

।।छंद दुर्मिला।।
दुव सेन उदग्गन खग्ग समग्गन अग्ग तुरग्गन बग्ग लई।
मचि रंग उतंगन दंग मतंगन सज्जि रनंगन जंग जई।।१।।
लगि कंप लजाकन भीरु भजाकन बाक कजाकन हाक बढी।
जिम मेह ससंबर यों लगि अंबर चंड अडंबर खेहू चढी।।२।।

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प्रताप पच्चीसी – अजयदान जी लखाजी रोहडिया

प्रण पर बगसण प्राण, तृण सम नित ततपर रियो।
आजीवन आराण, परचंड किया प्रताप सी॥1

धरम सनातन धार, असह निपट संकट सह्या।
अकबर रो अधिकार, पर न मन्यो प्रतापसी॥2

हलदी घाट हरोळ, मेद पाट भिडीयो मरद।
तुरकों पर खग तौल, पग रोपै परतापसी॥3 […]

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हाथी रै दांतुसल़ां बींध्योड़ै वीर, हाथी रो कुंभस्थल़ चीरियो

राजस्थानी वीरां री वीरत री कीरत यूं ई नीं है। इणां बगत पड़ियां आपरो आपाण बतायो अर जगत में सुजस लियो। किणी कवि सही कैयो है कै “सिर पड़ियां खग सांभणा इण धरती उपजंत।” इणी वीरां री अतोल वीरता रै कारण शक्तिदानजी कविया इणां नै नर रत्न मानतां लिखियो कै मरू प्रांत रै रतनां मे वीर एक अमोल रतन है :- संत सती अर सूरमा सुकवि साहूकार पांच रतन मरू प्रांत सोभा सब संसार।। सगल़ै संसार में इणां रै सुजस री सोरम पसरी थकी। ऐड़ो ई एक सूरमो होयो भाटी जोगीदास। भाटी जोगीदास जिकी वीरता बताई वा आज ई सुणियां वीरां […]

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सनातनी रिस्तां री रक्षार्थ मरण तेवड़णियो कवि कुशलजी रतनू

महाराजा मानसिह जोधपुर आप री रीझ अर खीझ री समवड़ता रे पाण चावा रैया है । रीझियां सामल़ै नै आपरो काल़जो तक देवण मे ओछी नी तकता तो खीझियां सामल़ै रो कालजो चीलां नै चबावण सूं पैला नैचो नी करता। एकर महाराजा मानसिंह आपरै मर्जीदान बिहारीदास खिची माथै किणी बात कारण अरूठग्या। खिची महाराजा री आदत नै जाणतो सो दरबार रे डर सूं जोधपुर स्थित साथीण री हवेली गयो अर साथीण ठाकुर शक्तिसिंह भाटी सूं शरण मांगी। शक्तिसिंह स्वाभिमानी, अर टणकाई री टेक राखणिया वीर हा। उणां दरबार रे कोप री गिनर नी कर र शरणागत नै अभयदान देतां आपरे अठै […]

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जूझार मूल सुजस

बीकानेर जिले री कोलायत तहसील रै गांव खेतोलाई रै सालमसिंह भाटी रो बेटो मूल़जी एक वीर क्षत्रिय हो। सं १८६६ री भादवा सुदि १२ रै दिन ओ वीर चोखल़ै री गायां री रक्षार्थ जूझतो थको राठ मुसलमानां रै हाथां वीरगति नै प्राप्त होयो। किवंदती है कै सिर कटियां पछै ओ वीर कबंध जुद्ध लड़ियो। आथूणै राजस्थान रे बीकानेर, जैसलमेर नागौर अर जोधपुर मे इण वीर री पूजा एक लोक देव रे रूप मे होवै।मूल़जी जूझार रे नाम सूं ओ अजरेल आपरी जबरैल वीरता रे पाण अमरता नै वरण करग्यो।जैड़ो कै ओ दूहो चावो है :- मात पिता सुत मेहल़ी बांधव वीसारेह सूरां […]

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जूझार हणूंवंतसिंह रोहड़िया सींथल़ रो सुजस

सीयां हमीरां सांगड़ां, मिल़ियै जाझै मांम
सांसण सीथल़ है सिरै, वीसासौ विसराम

महाकवि दुरसाजी आढा रो ओ दूहो सींथल़ री सांस्कृतिक विरासत, स्वाभिमान साहस अर टणकाई री टेक राखण री अखी आखड़ी रो साखिधर है। सींथल रा संस्थापक सांगड़जी रो पाटवी सपूत मूल़राज। मूलराज करनीजी रा अन्नय भक्त। करनीजी खुद सींथल़ पधारिया जद मूल़राजजीनै खुद आपरै हाथां सू जागा बताय कैयो कै आगै सूं अठै देवी री पूजा करजै आज उणी जागा करनीजी रो भव्य मंदिर है। इणी मूलराजजी री वंशज सींथल़ मे मूल़ा बाजै। मूल़राजजी री वंश परंमपरा मे पदमसिंह हुया अर इणां रै घरै हणुंवतसिंह रो जनम होयो। उण दिनां बीकानेर माथै महाराजा रतनसिह रो शासन हो, उणां रो एक मुलाजिम रिड़मलसर रो सिपाही मुसलमान हो। वो एक वार आपरी टुकड़ी साथै सींथल़ रुकियो। […]

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गीत जैसलमेर रो

माड अर्थात जैसलमेर रो पुराणो नाम। इणी माड रै पावन मगरियां माथै लोकदेवी आवड़ रास रमी अर दुष्टां रो दमन कियो।इणी धरा माथै महाभड़ भोजराज भाटी होयो जिण री वीरता वंदनाजोग। उण रो विरद “आडा किंवाड़ उतराद रा भाटी झेलण भार।” इणी धरा रो सपूत महावीर सालिवाहण होयो जिण कवि श्रेष्ठ बांझराज रतनू नैं इक्कीस गांवां सूं सिरुवो दियो। इणी भोम रो महाभड़ दूदा होयो जिणरै विषय में आ बात चावी है कै कविवर्य हूंफै रै सतोला शब्द सुण र कटियै माथै कवि नै दाद देय कविता री कूंत करी। इण धरा रा सपूत रतनसिंह, मूल़राज राजपूती शौर्य रा प्रतीक […]

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कविता की संजीवनी और राणा सांगा

वीर महाराणा सांगा (संग्राम सिंह) के झंडे के नीचे सारे राजस्थान के वीर बाबर से युद्ध करने के लिए जुटे थे। युद्ध के मैदान में पूरी वीरता से देर तक लड़ते लड़ते घायल राणाजी को अत्यधिक रक्तस्राव के कारण मूर्छा आ गयी। राणा को अचेत अवस्था में देखकर उनका महावत सावधानी से राणाजी के हाथी को युद्ध क्षेत्र से भगा ले गया। होश आते ही राणाजी को अपनी हार का पता चला तो वे क्रोध में पागल से हो गए। हारने की व युद्ध क्षेत्र छोड़ने की लज्जा ने उनको पूरी तरह से तोड़ दिया। युद्ध में उनका एक हाथ […]

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जूझार मेहरदान संढायच माड़वा

माड़वो पोकरण रै दिखणादै पासै आयोड़ो एक ऐतिहासिक गांव है। जिणरो इतिहास अंजसजोग अर गर्विलो रैयो है। पोकरण राव हमीर जगमालोत ओ गांव अखैजी सोढावत नै दियो। जिणरी साख रै एक जूनै कवित्त री ऐ ओल़्यां चावी है।

हमीर राण सुप्रसन्न हुय, सूरज समो सुझाड़वो
अखै नै गाम उण दिन अप्यो, मोटो सांसण माड़वो

इणी अखैजी रै भाई भलैजी रै घरै महाशक्ति देवल रो जनम हुयो।

भलिया थारो भाग, देवल जेड़ी दीकरी
समंदां लग सोभाग, परवरियो सारी प्रिथी

ओ ई बो माड़वो है जठै भगवती चंदू रो जनम हुयो जिण सांमतशाही रै खिलाफ जंमर कियो। इणी माड़वै मे अखै री गौरवमय वंश परंमपरा मे माणजी रै धड़ै मे धरमदान रै घरै मेहरदान संढायच रो जनम हुयो।[…]

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कवि ने सिर कटवाया पर सम्मान नहीं खोया

अक्सर लोग चारण कवियों पर आरोप लगा देते है कि वे राजपूत वीरों की अपनी रचनाओं में झूंठी वीरता का बखाण करते थे पर ऐसा नहीं था| राजपूत शासन काल में सिर्फ चारण कवि ही ऐसे होते थे जो निडर होकर अपनी बात अपनी कविता में किसी भी राजा को कह डालते थे| यदि राजा ने कोई भी गलत निर्णय किया होता था तो उसके विरोध में चारण कवि राजा को हड़काते हुए अपनी कविता कह डालते थे| ऐसे अनेक उदाहरणों से इतिहास भरा है | ऐसा ही एक उदाहरण यहाँ प्रस्तुत है जो जाहिर करता है कि चारण कवि […]

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