यह मंदिर मंदिर नहिं केवल, यह गौरव सौगात है


आज प्रफुल्लित अवध धरा है, पूर्ण अधूरे काम हुए
पुनः प्रतिष्ठित नव मंदिर में, भारत गौरव राम हुए
सदियों की काली अंधियारी, जैसे बीती रात है।
यह मंदिर मंदिर नहिं केवल, यह गौरव सौगात है।।01।।

आज उल्लसित कण-तृण सारे, स्वयं पधारे रघुनंदन।
लेत बलैयां झुकी लताएं, करते पादप अभिनंदन।
मधुर मधुर स्वर छेड़ विहंगन, सबका हिय हरखात है।
यह मंदिर मंदिर नहिं केवल, यह गौरव सौगात है।।02।।

मंदिर की क्या बात राम के, मंदिर हर इक ग्राम मिले।
घर घर में मंदिर भारत के, हर मंदिर में राम मिले।
हर हिन्दू के स्वाभिमान का, नाता इसके साथ है।
यह मंदिर मंदिर नहिं केवल, यह गौरव सौगात है।।03।।

इक वनवास कटा त्रेता में, दूजा छप्पर में बीता।
तब भी जीत सत्य ने पाई, अब भी वो ही है जीता।
अटल अजेय अनादि चिरंतन, रामलला रघुनाथ है।
यह मंदिर मंदिर नहिं केवल, यह गौरव सौगात है।।04।।

तब तो स्वागत दीप सजे थे, केवल एक अयोध्या में।
दीप असंख्यक अतुलित देखो, आज सजे हैं दुनिया में।
गाओ मंगल गीत बधाई, श्रीहरि अपने साथ है।
यह मंदिर मंदिर नहिं केवल, यह गौरव सौगात है।।05।।
~~©डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’ नाथूसर

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