चारण री वांणी
यूं तो हर एक री वाणी आप-आप री ठौड़ महत्तवपूर्ण हुवै पण जिण वाणी री म्है, बात आप तक पुगावणी चावूं वा है चारण री वाणी। जिण वाणी री गूंज नी तो कदैइ दबी अर नीं सहमी। किणी पण परिस्थितियां मे अजाणी नी रैयी। इणी वाणी री विमळता रै पाण अठै रै मानखै मे संस्कार सींचित होयर संचरित होया। इणी वाणी अठै रै नर नाहरां मे साहस रो संचरण, स्वाभिमान रो रक्षण, शौर्य रो अनुकरण, स्वामीभक्ति रो पोखण, साच नै वरण अर स्वधर्म रै सारू मरण रा भाव पनपाया अर ऐ ई भाव अठै रै बांठै बांठै नैपांगराय गहडंबर किया। इणी वाणी सूं बंधिये पाबू परण सूं मरण नै सिरै मानियो। इणी वाणी री प्रखरता सूं महावीर दूदा भाटी री खाटी कीरत अखी है। आ ई वाणी मोटै राजा रै खोटै कामां रै विरोध मे गूंजी जिणरी अनुगूंज अजै कायम है। देशभक्ति रो दीप संजोवणिये राणै प्रताप री प्रभा इणी वाणी रै पाण प्रकाशमान है। आ ई वाणी गोरां रो गीरबो गाळण मे निसंक गूंजी अर अठै रै सूरमां नै उणां री कुचालां सूं बचण अर भूलथाप सूं उबारण सारू चेतण रा चूटिया बोड़ण तक सूं नीं चूकी सो आप विद्वानां तक म्है म्हारी कविता रो एक अंश पूगतो कर रैयो हूं।[…]
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