चारण री वांणी

यूं तो हर एक री वाणी आप-आप री ठौड़ महत्तवपूर्ण हुवै पण जिण वाणी री म्है, बात आप तक पुगावणी चावूं वा है चारण री वाणी। जिण वाणी री गूंज नी तो कदैइ दबी अर नीं सहमी। किणी पण परिस्थितियां मे अजाणी नी रैयी। इणी वाणी री विमळता रै पाण अठै रै मानखै मे संस्कार सींचित होयर संचरित होया। इणी वाणी अठै रै नर नाहरां मे साहस रो संचरण, स्वाभिमान रो रक्षण, शौर्य रो अनुकरण, स्वामीभक्ति रो पोखण, साच नै वरण अर स्वधर्म रै सारू मरण रा भाव पनपाया अर ऐ ई भाव अठै रै बांठै बांठै नैपांगराय गहडंबर किया। इणी वाणी सूं बंधिये पाबू परण सूं मरण नै सिरै मानियो। इणी वाणी री प्रखरता सूं महावीर दूदा भाटी री खाटी कीरत अखी है। आ ई वाणी मोटै राजा रै खोटै कामां रै विरोध मे गूंजी जिणरी अनुगूंज अजै कायम है। देशभक्ति रो दीप संजोवणिये राणै प्रताप री प्रभा इणी वाणी रै पाण प्रकाशमान है। आ ई वाणी गोरां रो गीरबो गाळण मे निसंक गूंजी अर अठै रै सूरमां नै उणां री कुचालां सूं बचण अर भूलथाप सूं उबारण सारू चेतण रा चूटिया बोड़ण तक सूं नीं चूकी सो आप विद्वानां तक म्है म्हारी कविता रो एक अंश पूगतो कर रैयो हूं।[…]

» Read more

महाकाळिय तुं मछराळिय मोगल-वीसाभाई महडू

परचा जग वासिय नक्ख प्रकाशिय रध्ध हुलासिय, अंग रयं।
त्रमळं गुण गासिय, सुक्ख निवासिय, उजळ आशिय, चाव अयं।
वरदाण विळासिय, दुःख विनासिय, साम चौरासिय, जग्ग सरे।
महाकाळिय तुं मछराळिय मोगल कांकण वाळिय ल्हेर करे।।1 […]

» Read more

केसरिया बालम कहूं

केसरिया बालम कहूं, गाढा माढां राग।
आवो घर अलबेलडा, उपजावण अनुराग॥1

केसरिया बालम कहूं, जळूं बिरह री झाळ।
आव अषाढी मेह जिम, (तो) भींजूं इण बरसाळ॥2

केसरिया बालम कहूं,नेह निभाज्यो नाह।
आय मिळो म्हाने अठे,गाढ भरण गळबांह॥3

केसरिया बालम कहूं,गाढ गुलाबी रंग।
इण तन चंदण रूंखडै,लिपट्या विरह भुजंग॥4[…]

» Read more

भगवत ओ नाय रटै घट भोदू

गीत वेलियो
भगवत ओ नाय रटै घट भोदू, नटका नको चितारै नाम।
पड़सी फंद चौरासी पितलज, कर र्यो कुटल़ बुरोड़ा काम।।१

ठग चाल़ै चोरी मन ठायो, परधन हड़फ करण में प्रीत।
जो तूं करै जमारो जायो, चित राघव ना लायो चीत।।२ […]

» Read more

हिंगळाज माताजी री स्तुति – कविराज शंकरदानजी जेठीभाई देथा (लींबडी)

॥छंद हरिगीत॥
प्रणमामि मातु प्रेम मूरति, पार्वती परमेशरी।
शांति क्षमामय कृपासागरि, सुखप्रदा सरवेशरी।
सेवक शिशु रा दुरित दारिद, विघ्न दोष विदारणी।
आदि शक्ति नमो अंबा, हिंगळा अघहारिणी॥1

सब देवियां शिरमौड सातांद्वीप री राजेशरी।
कोहला परवत कंदरा री निवासी निखिलेशरी।
आनंद वदनी आशुतुष्टा, कृपा मंगळ कारिणी।
नकळंक रुपा नमो अंबा, हिंगळा अघहारिणी॥2 […]

» Read more

जय मोगल मां मछराळी – कवि जीवणदानजी डोसाभाइ झीबा

॥छंद त्रिभंगी॥
परतापां पुरी, निरमळ नूरी, सतव्रत सूरी, सरसाई।
दाळद कर दूरी, क्रोध करुरी, बळ भरपूरी, थुं बाई।
भंजण दुःख भुरि, गंज गरुरी, रखण सबुरी, रढियाळी।
ओखा धर वाळी, देव डाढाळी, जय मोगल मां मछराळी॥1 […]

» Read more

चाळकनेची चामुंडा – कवि हमीरदान जी रतनू (धडोई)

॥छंद त्रिभंगी॥
वेदां वंचाणी, पढे पुराणी, क्रोड विनाणी, कतियांणी।
कै काम कमाणी, अकह कहांणी, जय सुर राणी जगजाणी।
भाखे ब्रह्माणी, तुं मन भाणी, अविरळ वांणी, उदंडा।
रव राय रवेची, मुंह माडेची, चाळकनेची, चामुंडा॥1

आशापुरा आई, देव दुगाई, महण मथाई, मंहमाई।
सतशील सदाई, जुध्ध जिताई, गाढ वडाई, गरवाई।
दैतां दुःखदाई, सुरां सहाई, खिति उपाई नव खंडा।
रवराय रवेची, मुंह माडेची, चाळकनेची, चामुंडा॥2

» Read more

बिरहण धण रो ओळभौ

कंथा कंथा पेर ने, बण जातौ थूं संत।
तौ नी पंथ उडीकती, साची बात कहंत॥1
पण थूं चाल्यौ चाकरी, पकडी वाट विदेश।
इणसूं थने उडीकती, रहती राज हमेश॥2
दिन उगियां पूछुं पथिक, रोज उडाडूं काग।
तौ पण थूं आवै नहीं, फूटा मारा भाग॥3 […]

» Read more

न्यारै-न्यारै

न्यारै-न्यारै मिनख मनां में,
देखो न्यारी-न्यारी आग।
कठै राग अनुराग विहूणी,
कठै विराग मांयनै राग।।

बागवान ही बण्या विधूंसक,
सुरड़ै-सुरड़ विधूंसै बाग।
टणका झुरै टोपल्यां खातर।
पतहीणां सिर पचरंग पाग।। […]

» Read more

गिणिया दिन तो गया गिमार

गीत वेलियो
ठगपण रै मांय मुलक नै ठगियो
धन कियो भेल़ो हर धूत।
आडो नाय सिल़ी सम आयो
जमड़ां जदै मेलिया जूत।।१

चोरी करण रख्यो घण चेतो
जारी मांय लगायो जीव।
भूल गयो भगवत नै भोदू
नरकां तणी लगाई नीव।।२ […]

» Read more
1 3 4 5 6 7 8