गीत – हंसावळो – इशरदासजी कृत
परथम अजर अमर अपरमरा
जररा जरण भगतरा जोर
नररा नंग नागरा नाथण
नमो निगमरा अणगम नोर
खळरा दळण लंकरा खेधण
कळरा अकळ कंसरा काळ
गिरिरा धरण मोहरा गाळण
प्रमरा अप्रम प्रजारा पाळ […]
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परथम अजर अमर अपरमरा
जररा जरण भगतरा जोर
नररा नंग नागरा नाथण
नमो निगमरा अणगम नोर
खळरा दळण लंकरा खेधण
कळरा अकळ कंसरा काळ
गिरिरा धरण मोहरा गाळण
प्रमरा अप्रम प्रजारा पाळ […]
देखत बड भाग लाग, पोत सरस नवल पाग,
अंतर अनुराग जाग, छबि अथाग भारी।
अति विशाल तिलक भाल, निरखत जन हो निहाल,
उन्नत त्रय रेख जाल, काल व्याल हारी।
विलसत भुँह श्याम वंक, चिंतत उर जात शंक,
मृग मद भर बीच पंक, अंक भ्रमर ग्यानी।
जय जय घनश्याम श्याम, अंबुज द्रग क्रत उदाम,
सुंदर सुखधाम नाम, साँवरे गुमानी॥१
किणी कवि सही कैयो है कै देणो मरणै सूं ई दोरो। इणी कारण ओ दूहो चावो है कै जिकै समझदार होवे उणां सूं तीन काम संज नीं आवै दैणो, मरणो अर मारणो। ऐ काम तो काला होवै बै ई कर सकै –
नर सैणां सूं व्है नहीं, निपट अनैखा नाम।
दैणा मरणा मारणा, कालां हंदा काम।।
ऐड़ो ई एक प्रसंग है बीकानेर महाराजा गजसिंहजी रै खास मर्जीदान कवि गोपीनाथजी गाडण रो। गोपीनाथजी गाडण आपरी बगत रा मोटा कवि जिणां महाराजा गजसिंहजी री वीरता अर उदारता नै वर्णनीय विषय बणाय “ग्रंथराज ” नामक ग्रंथ बणायो। […]
» Read moreમાડી તારા નવ નગર ને નવ નેહડા,માડી તારી નજરૂ ફરે છે નવખંડમાથે રે
મછરાળી મોગલ ગાંડી થઈ ડણકી ને ડુંગર ગાળીયે…(1)
માડી, તે કાળા રે સરપુંનેકીધો કોરડો,માડી, એ તો વખડાં વમને ને ફણીધરફુફે રે,
મછરાળી મોગલ….ગાંડી થઈ ડણકી ને ડુંગર ગાળીયે…(2)
માડી, તારા કોરડે હાલે છે વ્યોમે વાવડો,માડી, તેંતો કોરડે દૈત્યું ને દંડતે દીધા રે,
મછરાળી મોગલ…ગાંડી થઈ ડણકી ને ડુંગર ગાળીયે…(3)
માડી, તારા સીમાડા લોપ્યા નેઅંગડા માગીયા,માડી, તેં તો ભેળીઓ ઉતારી જોનેબાંધી ભેટે રે, […]
बीकानेर रा राव लूणकरणजी वीर, स्वाभिमानी अर उदार नरेश हा। केई जंगां में आपरी तरवार रो तेज अरियां नैं बतायो तो दातारगी री छौल़ा ई करी। राव लूणकरणजी रै ई समकालीन कवि हा लालोजी मेहडू। बीकानेर रा संस्थापक राव बीकैजी रै साथै आवणियां में एक मेहडू सतोजी ई हा। इणी सतोजी रा बेटा हा लालोजी मेहडू। सतोजी नै राव बीकाजी खारी गांव दियो। लालोजी मेहडू आपरी बगत रो मोटा कवि अर बलाय रो बटको हा। एकर लालोजी जैसलमेर गया। जैसलमेर रावल देवीदासजी, बीकानेर राव लूणकरणजी रा हंसा उडाया अर आवल़िया बकिया। लूणकरणजी रा हंसा सुण र लालैजी नैं रीस आयगी बां […]
» Read more।।छंग – चर्चरी / चंचरीक।।
इक निशि ससि अति उजास, प्रौढ शरद रूतु प्रकास,
रमन रास जग निवास, चित विलास कीन्है।
मुरली धुन अति रसाल, गहरे सुर कर गुपाल,
तान मान सुभग ताल, मन मराल लिन्है।
ब्रह्मतिय सुन भर उछाव, बन ठन तन अति बनाव,
चितवत गत नृत उछाव, हाव भाव साचै।
हरि हर अज हेर हेर, बिकसित सुर बेर बेर,
फरगट घट फेर फेर, नटवर नाचै।।१[…]
🌸छंद रेणंकी🌸
सर सर पर सधर अनर तर अनुसर,कर कर वर घर मेल करे|
हरि हर सुर अवर अछर अति मनहर,भर भर अति उर हरख भरे|
निरखत नर प्रवर प्रवर गण निरजर,निकट मुकुट सिर सवर नमें|
घण रव पट फरर फरर पद घुंघर, रंग भर सुंदर श्याम रमें| १
झणणणण झणण खणण पद झांझर,गोम धणण गणणण गयणे|
तणणण बज तंत ठणण टंकारव,रणणण सुर धणणण रयणे|
त्रह त्रह अति त्रणण घणण अति त्रांसा,भ्रमण भमरवत रमण भमें|
घण रव पट फरर फरर पद घुंघर, रंग भर सुंदर श्याम रमें| २ […]
जूनी बगत री जूनी रीतां। कवियां री आपरी ठसक अर मठोठ क्यूंकै उण बगत री सत्ता अर सत्ता रै कर्णधारां रै अतंस में कवियां रै प्रति घणो सम्मान। कवियां रो सम्मान करणियो ऐड़ो ई एक ठिकाणो खिंदासर। बीकानेर महाराजा सुजाणसिंह रा समकालीन खिंदासर ठाकुर इंद्रसिंह। खाग अर त्याग सूं अनुराग। कवि रुघजी रतनू रै आखरां में – खींदासर खिंया दीपे रावां देवण रेस। अमलां वेल़ा आपनैं रँग भाटी इँदरेस।। इणां रा ई समकालीन कवि शंभुदान रतनू दासोड़ी। जिणां रो बीकानेर दरबार सुजाणसिंह ई घणो सम्मान करता। जिणां रो राजा सम्मान करै वांरो ठाकुर तो सम्मान करणो ई हा। शंभुदान रतनू […]
» Read moreअवल शब्द ॐ कार सूं रची काया अलख ।
सोहम मन मोह सूं रची स्वासा ।
स्वास् सूं सोहम कर ॐ ओउम् कर सोहँ सो ।
ॐ सूं सब्द ररंकार आसा ।।[…]
जाके सुर शरन को वंदत चरन मुनी निगम नाहिं गम वाके नर नारी की।
खगपति बैलपति कमलयोनि गजपति गावै पै न पावै गति जग महतारी की।
एरे मन मोरे बोरे काहे को उदास होत धरे क्यों न आश अम्बेदास सुखकारी की।
दोय भुज वारे नर शरन बचाय लेत गही है शरन मैं तो बीसभुज वारी की।। […]